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पढ़ाई के दबाव में चूक रही आंखों की रोशनी

By Edited By: Published: Sun, 20 Apr 2014 07:27 PM (IST)Updated: Sun, 20 Apr 2014 07:27 PM (IST)
पढ़ाई के दबाव में चूक रही आंखों की रोशनी

केस-1 : स्टेशन रोड की कुलसूम पुत्री हसन को सिर दर्द की शिकायत थी। जांच करवाने पर पता चला कि अधिक नजदीक से पढ़ने पर आंखों पर ज्यादा दबाव पड़ रहा है। इस कारण सिर में दर्द हो रहा है। उन्हें चश्मा लगाने की जरूरत है।

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केस-2 : फुल्लनपुर के बृजेश को बचपन से ही अधिक टीवी देखने के कारण आंखों में तिरछापन आ गया था। डाक्टर ने उन्हें चश्मा लगाने की सलाह दी। बावजूद इसके उसकी शिकायत दूर नहीं हो पाई।

गाजीपुर : बच्चों में दृष्टि दोष आम समस्या बन गई है। बच्चे कम दिखाई देने खासकर पढ़ाई के दौरान इस परेशानी की शिकायत भी करते हैं। अभिभावक उनकी समस्या को सुनने के बजाय पढ़ाई न करने का बहाना समझ कर डांट लगाते हैं। बच्चे भी बार-बार शिकायत करने में झिझक महसूस करते हैं। नतीजा नेत्र दोष की समस्या बढ़ती जाती है। कम उम्र में रोशनी कम होने का प्रमुख कारण खानपान में लापरवाही है। नेत्र चिकित्सक अभिभावकों को इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत बताते हैं।

नियमित अंतराल में हो जांच

पहली बार आंखों की जांच बच्चे के एक माह का होने के बाद करानी चाहिए। दूसरी बार तीन माह एवं तीसरी बार अक्षर ज्ञान के समय उनके स्कूल जाने के समय नेत्र जांच करानी चाहिए। बढ़ती उम्र में अक्सर नेत्र संबंधी कई समस्याएं आ सकती हैं।

संतुलित आहार जरूरी

आंखों की रोशनी बढ़ाने में हरी सब्जियां और पीले फल बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इसमें विटामीन ए काफी मात्रा में पाए जाते हैं। दूध के अलावा मौसमी फल शरीर में होने वाली कमियों को दूर करते हैं। नजदीक से टीवी देखना, कंप्यूटर पर लगातार बैठना आदि भी नेत्र दोष के मुख्य कारण हो सकते हैं।

अध्यापक रखें बच्चों पर नजर

कक्षा में पढ़ाई के दौरान बच्चों को श्यामपट्ट पर लिखे अक्षर उतारने में दिक्कत होती है तो स्पष्ट है कि उसे देखने में दिक्कत हो रही है। अध्यापक यह जानकारी उनके अभिभावक को दे कर नेत्र परीक्षण की सलाह दे सकते हैं।

बच्चों की विटामीन ए की खुराक जरूरी

हरी साग-सब्जी के अभाव में बच्चों को विटामीन ए पर्याप्त मात्रा में न मिलने के कारण उन्हें दृष्टि दोष की शिकायतें आ रही हैं। हर छह महीने पर बच्चों को विटामीन ए का डोज देना जरूरी होता है। साथ ही उसे हरी सब्जी वगैरह जरूर खिलाएं। बच्चा अधिक पास से पढ़ रहा है या टीवी देख रहा है तो उसकी आंखों की जांच जरूर कराना चाहिए। - डा. डीपी सिन्हा, नेत्र सर्जन एवं डिप्टी सीएमओ, गाजीपुर।

आंखों की रोशनी कम होने का कारण

* पर्याप्त मात्रा में विटामीन ए और पोषक तत्वों का न मिलना।

*समय से टीकाकरण न कराना।

*जेनेटिक डिस्आर्डर होना।

लक्षण..

*आंखों में पानी आना और जलन होना।

*आंखों का भारी होना।

* सिर दर्द होना।

* आंखों में दर्द।

पढ़ते वक्त रखें ध्यान

* लेट कर न पढ़ें।

*ज्यादा तेज रोशनी में भी पढ़ाई न करें।

*प्रकाश का स्रोत सिर के पीछे बार्इं अथवा दाई ओर रखें।


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