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दस बाई दस फीट के कमरे में चल रहा है आगनबाड़ी केंद्र

अवनीश मिश्र, साहिबाबाद: महिलाओं और बच्चों से जुड़ी महत्वाकांक्षी योजनाओं को उन तक पहुंचाने के लिए खोल

By Edited By: Published: Fri, 05 Feb 2016 08:44 PM (IST)Updated: Fri, 05 Feb 2016 08:44 PM (IST)
दस बाई दस फीट के कमरे में 
चल रहा है आगनबाड़ी केंद्र

अवनीश मिश्र, साहिबाबाद: महिलाओं और बच्चों से जुड़ी महत्वाकांक्षी योजनाओं को उन तक पहुंचाने के लिए खोला गया आंगनबाड़ी केंद्र प्रह्लादगढ़ी संख्या-दस खुद ही बीमार है। यह केंद्र पिछले सात साल से दस बाई दस फीट के एक कमरे में चल रहा है। उसी कमरे में पुष्टाहार व हाटकुक्ड भी रखा जाता है और बच्चे बैठकर पढ़ते भी हैं।आंगनबाड़ी केंद्र में 45 बच्चे पंजीकृत हैं। शुक्रवार को दैनिक जागरण टीम ने इस आंगनबाड़ी केंद्र का मुआयना किया, तो नौ बच्चे कमरे के छत पर धूप में पढ़ते मिले।

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45 में से नौ बच्चे छत की धूप में कर रहे थे पढ़ाई: दैनिक जागरण टीम शुक्रवार दोपहर 11 बजकर 20 मिनट पर आंगनबाड़ी केंद्र प्रह्लादगढ़ी संख्या-10 पहुंची। केंद्र के बाहर एक छोटा सा बोर्ड लगा मिला। मकान के सामने कुछ लोग धूप में कुर्सी लगाकर बैठे मिले। उन्होंने बताया कि ऊपर कमरे में आंगनबाड़ी केंद्र चलता है। मकान के प्रथम तल पर एक दस बाई दस के कमरे में गिनती, अंग्रेजी व ¨हदी के शब्द लिखे टेबल व ब्लैक बोर्ड टंगा मिला। एक ओर पुष्टाहार की बोरियां रखीं थी। कमरे में मौजूद सहायिका सीमा ने बताया कि ऊपर छत पर मेडम बच्चों को पढ़ा रही हैं। छत पर जाने पर देखा गया कि आंगनबाड़ी कार्यकत्री सुमन नौ बच्चों को धूप में बैठाकर कविता पढ़ा रही थीं।

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खिचड़ी-दलिया न मिलने से कम हुए बच्चे: सुमन ने बताया कि हाटकुक्ड योजना के तहत जब खिचड़ी व दलिया परोसा जाता है, तब काफी बच्चे आते हैं। दिसंबर माह में शुरूआती दस दिन तक खिचड़ी व दलिया देने का योजना था, तब तक बच्चे अधिक आते थे। अब केवल पुष्टाहार दिया जाता है, बच्चों को वह कम पसंद आता है, इसलिए बच्चे कम आते हैं। उन्होंने बताया कि अधिक बच्चों के आने पर कमरे में बैठाने में दिक्कत होती है, इसलिए ऊपर छत पर बैठाते हैं।

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दो-दो साल तक नहीं मिलता है किराया: सुमन ने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्र चलाने के लिए कोई सरकारी मकान नहीं हैं। पिछले सात साल से वह अपने मकान के कमरे में केंद्र चला रही हैं। उन्होंने बताया कि सरकार की ओर से 750 रुपये प्रतिमाह किराया निर्धारित है, लेकिन वह भी दो-दो साल बाद मिलता है। इसलिए कोई बड़ा मकान किराए पर नहीं लिया जा सकता है। उन्होंने बताया कि हर माह ही पांच, 15 व 25 तारीख को महिला लाभार्थियों को पुष्टाहार वितरित किया जाता है। इन दिनों उनके केंद्र में 40 लाभार्थी महिला पंजीकृत हैं।

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अब तक हर शनिवार को मेडम पुष्टाहार देती थीं, इस बार से कहा है कि पांच, 15 व 25 तारीख को मिलेगा।

- डॉली देवी, लाभार्थी।

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हर शनिवार को पुष्टाहार मिलता था। अब महीने में तीन बार ही मिलेगा, इससे दिक्कत होगी।

- डॉली, लाभार्थी।

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अपने बहू के लिए पुष्टाहार लेने आती हूं। सीढि़यां चढ़कर ऊपर जाने में बहुत दिक्कत होती है। आंगनबाड़ी केंद्र नीचे होना चाहिए।

- उर्मिला, लाभार्थी महिला की अभिभावक।

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एनसीआर में साढ़े सात सौ रुपये में किराए पर मकान मिल पाना संभव नहीं है। सरकार को चाहिए कि किराया बढ़ाकर दे या फिर खुद का आंगनबाड़ी केंद्र बनाए।

- फिरे जाटव, स्थानीय निवासी।


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