नोटों की माला और सिक्कों से चुनाव हुआ चकाचौंध
अखिलेश तिवारी, लोनी : पंचायत चुनाव में जीत के लिए प्रत्याशी हर दांव आजमाते हैं लेकिन लोनी में धन
अखिलेश तिवारी, लोनी :
पंचायत चुनाव में जीत के लिए प्रत्याशी हर दांव आजमाते हैं लेकिन लोनी में धनबल का खुला प्रदर्शन हो रहा है। आंखों को चकाचौंध करने के लिए नोटों की माला और सिक्कों से तुलने का चलन शुरू हो गया है। शुक्रवार को बंथला गांव में प्रत्याशी पति को 77 किलो सिक्के से तोला गया तो दूसरे को नोटों की भारी - भरकम माला पहनाई गई। एसडीएम और सहायक निर्वाचन अधिकारी केपी तोमर ने देर शाम कहा कि मामला जानकारी में है और आदर्श आचार संहिता उल्लंघन की रिपोर्ट दर्ज कराई जा सकती है।
जिला पंचायत चुनाव में पैसों का खुल्लम-खुल्ला इस्तेमाल शुरू हो गया है। शुक्रवार को लोनी के बंधला गांव में जिला पंचायत सदस्य पद का चुनाव लड़ रही लक्ष्मी मावी के समर्थन में एक सभा का आयोजन किया गया। इसमें लक्ष्मी के पति और समाजवादी पार्टी नेता पवन मावी भी अपने समर्थकों के साथ शामिल हुए। इस कार्यक्रम में प्रत्याशी लक्ष्मी के पति पवन मावी को 77 किलो सिक्कों से तौला गया। उनके साथ मौजूद पवन मावी के पिता बालकराम को भी 50- 50 के नोटों की माला पहनाई गई। विशालकाय माला में हजारों रुपये लगाए गए थे। धनबल के इस खुले प्रदर्शन की शिकायत भी शाम तक प्रशासन तक पहुंच गई। एसडीएम लोनी केपी तोमर ने देर शाम बताया कि चुनावी सभा में धनबल के प्रदर्शन की जानकारी मिली है। इसकी फोटो भी आई है। चूंकि इस तरह का पहला मामला है इसलिए आचार संहिता उल्लंघन के नियम और दायरे की बाबत जानकारी जुटा रहे हैं। मुमकिन है कि देर शाम तक रिपोर्ट दर्ज हो जाए। इस मामले में जब पवन मावी से उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई तो संपर्क नहीं हो सका। संदेश का भी कोई जवाब नहीं मिला।
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शुरू होगी होड़ :
लोनी में शुक्रवार को शुरू हुए धन के खुले प्रदर्शन के बाद अब दूसरे प्रत्याशी भी इस राह को आजमाने की योजना बना रहे हैं। जानकारों की मानें तो शुक्रवार की शाम तक कुछ अन्य प्रत्याशियों ने भी इस तरह के आयोजन की तैयारी कर ली थी लेकिन आदर्श आचार संहिता उल्लंघन की सुगबुगाहट ने उनके कदम रोक दिए। प्रत्याशियों के अनुसार अगर प्रशासन ने इसे आचार संहिता उल्लंघन नहीं माना तो शनिवार से ही सिक्कों से तुलने और नोटों के लहराने का नया दौर दिखाई दे सकता है, हालांकि इससे वे प्रत्याशी बेहद सकते में हैं जिनके समर्थकों के पास इतना धन नहीं है कि उन्हें सिक्के से तौल सकें।