चौकी बनने से बंद हुआ नहर में मौत का खेल
आशुतोष गुप्ता, गाजियाबाद पुलिस के एक छोटे से प्रयास ने सैकड़ों घरों के दीपक बुझने से बचा दिए। मसूरी
आशुतोष गुप्ता, गाजियाबाद
पुलिस के एक छोटे से प्रयास ने सैकड़ों घरों के दीपक बुझने से बचा दिए। मसूरी झाल पर पुलिस चौकी बनने के बाद यहां गर्मियों में लगने वाला लोगों का हुजूम समाप्त हो गया और प्रत्येक वर्ष झाल में डूबकर होने वाली मौतों से भी छुटकारा मिल गया। अब न तो यहां नहाने वाले लोगों की भीड़ लगती है और न ही शराब पीने वाले आते हैं। इसके चलते आसपास के गांवों के लोगों ने भी राहत महसूस की है।
मसूरी झाल पर नाहल के पास हर वर्ष गर्मी शुरू होते ही लोग नहर में नहाने के लिए आते थे। दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा, हरियाणा, हापुड़ व अन्य जिलों से बड़ी संख्या में युवा यहां आकर नहाते थे और सरेआम शराब पीते थे। इसके चलते नहर में डूबने से प्रति वर्ष बड़ी संख्या में लोगों की जान जाती थी। हादसों को रोकने के लिए लंबे समय से यहां पुलिस चौकी की मांग चल रही थी। वर्ष 2013 में एसएसपी ने पुलिस चौकी को मंजूरी दी और यहां पुलिस चौकी शुरू कर दी गई। चौकी खुलने के बाद यहां लोगों ने आना बंद कर दिया।
डासना रजवाहा बना डुबकी का नया स्थान
मसूरी झाल के पास पुलिस चौकी बनने के बाद भले ही यहां लोगों ने नहाना बंद कर दिया हो, लेकिन लोगों ने अब इसके लिए नया स्थान ढूंड लिया है। लोगों ने अब तैराकी करने व नहाने के लिए डासना स्थित बंबा (रजवाहा) चुन लिया है। अब यहां शराब के दौर चलते हैं और लोग गर्मी से राहत के लिए यहां नहाने आते हैं। मसूरी झाल की तर्ज पर अब यहां लोगों का हुजूम लगता है लेकिन बंबे का बहाव धीमे और गहराई कम होने के कारण यहां हादसों की आशंका कम रहती है, लेकिन सरेआम शराब पीने पर पुलिस रोक नहीं लगा पा रही है।
जिले में अब ये बचे हैं खतरनाक प्वाइंट
- निवाड़ी, मुरादनगर व मसूरी पुल स्थित गंगनहर
- इंदिरापुरम, साहिबाबाद व लोनी से गुजरने वाली ¨हडन नदी
- लोनी से गुजरने वाली यमुना नदी
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- पिछले चार वर्षो के आंकड़े
वर्ष - गंगनहर- ¨हडन- यमुना- कुल
2011- 65- 33- 25- 123
2012 - 88- 41- 32- 161
2013 82- 36- 23- 141
2014 - 68-21-25-114
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- लगातार हो रहे हादसों को पुलिस ने गंभीरता से लिया और पिछले वर्ष यहां पर पुलिस चौकी बनाई गई। चौकी पुलिस को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वह यहां किसी भी सूरत में शराब का सेवन न होने दें। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए अभिभावकों को भी बच्चों को समझाना चाहिए और उन पर नजर रखनी चाहिए।
धर्मेद्र सिंह, एसएसपी, गाजियाबाद