झटकों से सहमा ट्रांस ¨हडन, बहुमंजिला इमारतें हुईं खाली
जागरण संवाददाता, ट्रांस ¨हडन : शनिवार को जैसे ही लोगों को भूकंप के झटके महसूस हुए तो पूरा ट्रांस ¨ह
जागरण संवाददाता, ट्रांस ¨हडन : शनिवार को जैसे ही लोगों को भूकंप के झटके महसूस हुए तो पूरा ट्रांस ¨हडन सहम गया। बहुमंजिला इमारतों से लेकर मॉल, होटल, मेट्रो स्टेशन, दफ्तरों, स्कूल और पुलिस थानों में लोग शोर मचाकर कमरों से बाहर हो गए। ट्रांस ¨हडन की सभी बहुमंजिला इमारतों से लोग सुबह करीब पौने बारह बजे नीचे उतर आए और शाम तक डरे सहमे रहे। कई स्थानों पर सोसायटी में दरार आने, पंखे देर तक हिलने और भगदड़ जैसा माहौल होने की अफवाहें तैरती रहीं। हालांकि ट्रांस ¨हडन में जान-माल का कोई नुकसान सामने नहीं आया है ।
बजा अलार्म घरों से दौड़े लोग :-
भूकंप आते ही वसुंधरा सेक्टर-6 के जीवन अपार्टमेंट में आरडब्ल्यूए और सुरक्षा अधिकारी ने तत्काल सुरक्षा अलार्म बजाकर लोगों को घरों से निकाला। जैसे ही चौथी पांचवीं और ऊपरी मंजिलों में रहने वालों को इसकी सूचना हुई तो वह दहशत में आ गए। लोग सीढि़यों के रास्ते नीचे को दौड़े और पार्क में जाकर जमा हो गए। सोसायटी में रहने वाले एसके पांडे ने बताया है कि वह घर में थे और कुर्सी पर बैठे थे जैसे ही भूकंप का आभास हुआ सीधे परिवार सहित नीचे दौड़े। वहीं पूजा भी परिवार के अन्य सदस्यों के साथ नीचे उतर आई।
जानमाल के डर से घर से बाहर बिताए घंटों
वैशाली सेक्टर- चार की शिप्रा बि¨ल्डग, कावेरी, युमना और गौड़ सोसायटी में जैसे ही लोगों को भूकंप के लगातार झटके महसूस हुए तो वह नीचे खुले में आना शुरू हो गए। शिप्रा बि¨ल्डग के चौथे फ्लोर पर रहने वाले विशाल के पैर में चोट होने के कारण उनके माता पिता उनको कुर्सी पर बैठाकर नीचे लेकर आए। इसी के साथ बड़ों व आसपास पर भीड़ देखकर दो मासूम बच्चे अपने परिजनों से लिपट गए। कस्टम में इंस्पेक्टर अमोद झा ने बताया है कि उनकी सोसायटी सरकारी है और पुरानी होने के डर से सब लोग भूकंप खत्म होने के बाद से काफी डरे हुए हैं। उन्हें कभी भी किसी अनहोनी का भीतर ही भीतर भय सता रहा है।
दोपहर का लंच पार्क में
इंदिरापुरम के रॉयल टॉवर, श्प्रिा की रिगेलिया हाइट्स और ऑरेंज काउंटी में लोग शुरुआत दो झटकों के बाद अपना खाने पीने का सामान लेकर फ्लैटों से नीचे आ गए। ऑरेंज काउंटी में रहने वाले अनुज ने पहली बार भूकंप का मजंर देखा तो सहमे हुए नीचे उतर आए। शाम को चार बजे तक डरे रहे और नौवीं मंजिल पर बने फ्लैट पर नहीं गए। इसी के साथ गिरीश मिश्र ने कहा है कि डर के मारे गला सूख रहा था जब कुछ देर बाद भूकंप के झटकों से ध्यान हटा तो लोगों ने एक दूसरे को पानी पिलाया कर मदद की बात की। ऑरेंज काउंटी में रहने वाले बसंत कुमार का कहना है कि वह बीते लंबे समय से दिल्ली एनसीआर में ही रह रहे हैं, लेकिन दिनदहाड़े जो कंपन महसूस हुआ वैसा कभी पहले नहीं देखा। इस दौरान डरे सहमे लोगों ने हालात सामान्य होने के बाद भी बहुमंजिला फ्लैटों में जाने की हिम्मत नहीं जुटाई और पार्क व पेड़ों की छांव के बीच खाना-पीने किया। इस दौरान फोन का नेटवर्क जाम होने से नेट व कॉल सिस्टम पर भी असर रहा।