परिजनों के दुर्व्यवहार से क्षुब्ध किशोरी ने छोड़ा घर
जागरण संवाददाता, साहिबाबाद : आजादी के 66 वर्षो बाद भी देश की तमाम बेटियां प्यार, दुलार व सुरक्षा से
जागरण संवाददाता, साहिबाबाद : आजादी के 66 वर्षो बाद भी देश की तमाम बेटियां प्यार, दुलार व सुरक्षा से वंचित हैं। सोमवार को जब देश धूमधाम से गणतंत्र दिवस मना रहा था तो देश की एक बेटी साहिबाबाद थाने में बैठकर अपने आप पर रो रही थी। उसे रह-रहकर माता-पिता द्वारा किए गए जुल्म याद आ रहे थे। पुलिस वालों की सांत्वना भी उसके दुख को कम नहीं कर पा रही थी। बहराइच जिले के मधवापुर गांव की नाबालिग छात्रा ने अपनी कहानी बताकर सबको सोचने पर मजबूर कर दिया है।
करीब 16 वर्षीय किशोरी गांव के ही एक सरकारी स्कूल में कक्षा आठ की छात्रा है। उसने बताया कि चार बहनों में वह दूसरे नंबर पर है। पिता मेहनत मजदूरी करता है और रोजाना घर में शराब पीकर आने के बाद मां से लड़ाई करता है। इसके बाद सभी बहनों की पिटाई करता है। मां भी उसे कोसती है और आए दिन ताने देती है। एक दिन सब्र का बांध टूट गया और स्टेशन आकर ट्रेन में बैठ गई। यहां गाजियाबाद स्टेशन पर उतर गई। तीन दिन पूर्व शुक्रवार की रात यहां पहुंची। इधर-उधर भटकती रही। वहां कोई आदमी मिला और उसे घर ले आया। यहां वह उसकी पत्नी के साथ एक दिन रही। इसके बाद वह वहां से निकल कर मोहन नगर मंदिर आ गई। किसी ने इसी बीच 100 नंबर पर सूचना दे दी। मौके पर पहुंची पुलिस छात्रा को थाने ले आई। पुलिस ने छात्रा का बयान लिया है। परिजनों के दुर्व्यवहार से छात्रा इतनी पीड़ित है कि वह घर जाने के लिए तैयार नहीं है।
साहिबाबाद इंस्पेक्टर उपेंद्र यादव ने बताया कि छात्रा के बयान के आधार पर परिजनों का पता लगाया जा रहा है। उसके बाद उसे परिजनों के हवाले कर दिया जाएगा।
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मां-बाप को बदलना होगा नजरिया :
बेटियों के प्रति आज भी समाज में पूरी तरह जागरूकता नहीं आई है। एक तरफ प्रधानमंत्री व सामाजिक संगठन बेटी बचाओ का नारा बुलंद कर रहे हैं तो दूसरी ओर देश में तमाम ऐसे परिवार हैं जहां बेटियों को प्यार, दुलार, सुरक्षा व सम्मान की जगह दुत्कार और तिरस्कार झेलना पड़ रहा है। बेटियां कितनी सुरक्षित हैं, इस पर गंभीरता से विचार करना होगा।