बिजली बिलों में हेराफेरी कर 33 लाख का घोटाला
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : लोनी क्षेत्र में बिजली बिलों में हेराफेरी करके 33 लाख रुपये का घोटाला
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद :
लोनी क्षेत्र में बिजली बिलों में हेराफेरी करके 33 लाख रुपये का घोटाला किया गया है। बिलों में हेराफेरी लोनी क्षेत्र के अधिशासी अभियंता और उपखंड अधिकारी के आइडी से हुआ है। आरोप है कि बिलिंग एजेंसी के किसी कर्मचारी ने आइडी हैक करके बिलों को कम किया है। विद्युत निगम ने लोनी थाने में घटना की रिपोर्ट दर्ज कराकर विभागीय जांच शुरू कर दी है।
घोटाले और फर्जीवाड़े के लिए बदनाम लोनी क्षेत्र में आए दिन कोई न कोई गड़बड़ी मिल रही है। तीन दिन पूर्व मोबाइल टावर के मीटर रीडिंग में खेल करके लगभग डेढ़ करोड़ रुपये की जालसाजी पकड़ी गई थी अब बिलों में हेराफेरी का मामला पकड़ में आया है। लोनी में तैनात रहे उपखंड अधिकारी सिद्धार्थ मिश्रा की आइडी से दो और तीन नंवबर को 78 उपभोक्ताओं के बिजली बिल में 23 लाख रुपये कम कर दिए गए हैं। जबकि अधिशासी अभियंता एके सिंह की आइडी से 11 और 12 नवंबर को 29 उपभोक्ताओं के बिलों में 10 लाख रुपये कम कर दिए गए हैं। जिन उपभोक्ताओं के बिलों में कमी की गई है उनके बिलों में पूर्व में हुए घोटाले में भी कमी की गई है। इससे इस आशंका को बल मिल रहा है कि कोई गैंग संगठित तरीके से लोनी क्षेत्र में काम कर रहा है।
लोनी क्षेत्र में साई कंप्यूटर नामक निजी कंपनी द्वारा बिलिंग का कार्य किया जा रहा है। कंपनी को उपभोक्ताओं से चेक लेने की अनुमति है। उपभोक्ता से लिए गए चेक को कंपनी द्वारा विद्युत निगम के खाते में जमा कराना पड़ता है। शक जताया जा रहा है कि बिलिंग एजेंसी के ही किसी कर्मचारी ने आइडी हैक करके घोटाले को अंजाम दिया है।
विभागीय कर्मियों की भी हो सकती है मिलीभगत
लोनी में जिस तरह से अधिकारियों के ईमेल आइडी हैक करके बिजली बिलों में हेराफेरी की जा रही है। उससे इस आशंका को भी बल मिल रहा है कि घोटाले में विद्युत निगम का कोई कर्मचारी शामिल है। विभागीय कामकाज के लिए कई बार अधिकारियों द्वारा कर्मचारी को इमेल आइडी और पासवर्ड दिया जाता है। संभव है कि उसी में से किसी कर्मचारी ने पासवर्ड लीक किया हो।
पहले भी हुआ था 59 लाख का फर्जीवाड़ा
जुलाई 2014 में साई कंप्यूटर के एक कर्मचारी की लॉगइन आइडी से 59 लाख रुपये के बिल के रसीद जारी हुए हैं। जबकि विभाग के खाते में यह रकम जमा नहीं कराई गई। इस मामले में अभी तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई।
पुराने घोटाले से जुड़े हैं तार
जिन उपभोक्ताओं के बिलों में कमी की गई है उनमें से कई उपभोक्ता ऐसे हैं जिनके बिल जुलाई 2014 में भी कम किये गए थे। मामला पकड़ में आने के बाद कम कराये गए रकम को फिर से उपभोक्ता के बिल में जोड़ दिया गया है। ऐसे में विभाग द्वारा उन सभी उपभोक्ताओं के खिलाफ लोनी थाने में तहरीर दी गई है जिनके बिलों में कमी की गई है।
विद्युत निगम के नुकसान की भरपाई के लिए फर्जी तरीके से बनवाए गए बिलों को रद कर नए बिल जारी किए जा रहे हैं। आरोपियों की पहचान सुनिश्चित करने के लिए थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दी गई है। साथी विभागीय स्तर पर भी जांच कराई जा रही है कि इन मामलों में कौन लोग शामिल हैं।
: एके गुप्ता, मुख्य अभियंता, विद्युत निगम