पीछे छूटते जा रहे छात्रों के असली मुद्दे
संवाद सहयोगी, मोदीनगर मुलतानी मल मोदी डिग्री कालेज में इसी माह छात्रसंघ चुनाव होने की संभावना के म
संवाद सहयोगी, मोदीनगर
मुलतानी मल मोदी डिग्री कालेज में इसी माह छात्रसंघ चुनाव होने की संभावना के मद्देनजर तैयारियां जोरों पर हैं। बदलते समय के साथ छात्र नेताओं का चुनाव लड़ने का तरीका और छात्रसंघ का स्वरूप बदला है। पुराने छात्र नेताओं का कहना है कि छात्र संघ चुनावों में राजनीति के साथ जातिवाद भी हावी है। छात्रों के मुद्दे पीछे छूटते जा रहे हैं। गांव का बच्चा 70 फीसद अंक लाने के बाद भी दाखिले के लिए भटक रहा है और कालेजों में खाली सीटों की भरमार है। वहीं छात्र संघ चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे छात्रों का दावा है कि वे छात्रों की समस्या को प्रमुखता से उठाएंगे। हालांकि गौर करने वाली बात यह है कि अभी अधिकांश कक्षाओं में छात्रों को पहचान पत्र तक नहीं मिल पाए हैं।
लिंगदोह समिति की सिफारिशों के आधार पर गत वर्ष 2013 में यहां मोदी कालेज में छात्र संघ का चुनाव हुआ। चुनाव के बाद छात्रसंघ की ओर से मुद्दा विहीन राजनीति हावी रही। छात्र हितों से जुडे़ मुद्दे पर कोई संघर्ष सामने नहीं आया। लिंगदोह समिति के तहत हो रहे चुनाव में अब लोकतांत्रिक तरीके से राजनीति करने वाले नहीं बल्कि वे छात्र चुनाव लड़ रहे हैं, जिन्हें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) व कालेज के लिये गठित छात्रसंघ के बारे में जानकारी नहीं है। लेकिन वे इस बार छात्रसंघ के पदों पर लड़ने वालों को छात्र हित के मुद्दों को जोर शोर से उठाने के लिए उनको सहयोग देंगे।
परविंदर सिंह, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष, एमएम कालेज
कमजोर लोग राजनीति में आ रहे हैं। पहले राजनीति का पायदान ही कालेज का छात्रसंघ चुनाव होता था। उस दौरान छात्रसंघ का पदाधिकारी छात्र हित के मुद्दों को उठाकर गांव के प्रतिभावान छात्रों को दाखिला दिलाने के लिये संघर्ष करता था। अब छात्र इन मुद्दों से भटका है।
-सुरेंद्र त्यागी, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष