इमरजेंसी में भर्ती के बाद भी नहीं मिला इलाज, मौत
इंदु शेखावत, गाजियाबाद : संयुक्त जिला अस्पताल में घोर अमानवीय कृत्य हुआ। 17 अक्टूबर को लावारिस हा
इंदु शेखावत, गाजियाबाद :
संयुक्त जिला अस्पताल में घोर अमानवीय कृत्य हुआ। 17 अक्टूबर को लावारिस हालत में भर्ती एक शख्स आठ दिन तक अस्पताल परिसर में ही पड़ा रहा। डॉक्टरों की लापरवाही के कारण इलाज नहीं मिलने और मारे भूख-प्यास के
अस्पताल के मुख्य गेट के पास उसने शनिवार को दम तोड़ दिया। इस मामले में मीडिया द्वारा संज्ञान लेने पर महकमे में हड़कंप मचा। इसकी गूंज प्रशासनिक अधिकारियों तक पहुंची तो सीएमओ अजेय अग्रवाल के साथ सिटी मजिस्ट्रेट कपिल सिंह भी मौके पर पहुंचे। दोंनो ने मामले की जांच कर डीएम को रिपोर्ट सौंप दी है।
संयुक्त जिला अस्पताल में भोपाल सिंह नामक अधेड़ को लावारिस हालत में शास्त्रीनगर में रहने वाला पीयूष अस्पताल की इमरजेंसी में लेकर गया था। मरीज की गंभीर हालत को देखते हुए भर्ती कर लिया गया था। डायरिया होने के कारण उसे अस्पताल से कमीज पायजामा भी दिया गया, मगर उसका इलाज नहीं हो सका। इसके चलते भोपाल अस्पताल परिसर में मल-मूत्र में सना पड़ा रहा। उसकी हालत बिगड़ती चली गई और उसने शनिवार सुबह दम तोड़ दिया।
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घोर लापरवाही उजागर
भोपाल सिंह को जब इमरजेंसी में ले जाया गया, वह गंदगी में सना था। उस वार्ड में भेजा गया मगर दाखिल ही नहीं किया गया। इमरजेंसी में भर्ती करने का रिकार्ड है। लेकिन वार्ड में बेड देने का रिकार्ड नहीं है।
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सीएमएस ने गलती मानी: सीएमओ
सीएमओ डा. अजेय अग्रवाल का कहना है कि सीएमएस ने खुद गलती मानी है कि इलाज में लापरवाही हुई है। सीएमओ का कहना था कि जब मरीज अस्पताल में भर्ती है तो उसकी मौत भी अस्पताल के बेड पर होनी चाहिए थी। वे मानते हैं कि मरीज का इलाज किया ही नहीं गया। वे ये भी कहते हैं कि अगर ये भी मान लिया जाए कि मरीज बेड से भाग गया था, तो उसकी सूचना पुलिस को दी जानी चाहिए थी। लेकिन ऐसा भी नहीं किया गया। दोनों अधिकारियों ने अपनी जांच डीएम को सौंप दी है।
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तीन दिन बाद पुन: होगी जांच
डीएम ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। उन्होंने दोनों अधिकारियों की रिपोर्ट पर पुन: दोनों को तीन दिन बाद जांच करने के निर्देश दिए हैं।