बंद मोदी कपड़ा मिल की जमीनों की कर दी बिक्री
संवाद सहयोगी, मोदीनगर बंद पड़ी मोदी कपड़ा मिल की भूमि बेचे जाने के मामले में शासन की अनुमति नहीं ल
संवाद सहयोगी, मोदीनगर
बंद पड़ी मोदी कपड़ा मिल की भूमि बेचे जाने के मामले में शासन की अनुमति नहीं लिए जाने का खुलासा हुआ है। एसडीएम कृष्णा करूणेश ने पूरे प्रकरण की रिपोर्ट शासन को भेजी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि शासन ने मोदी समूह को उद्योग लगाने के लिए भूमि दी थी। एसडीएम की इस कार्रवाई से मिल प्रबंधकों में खलबली मच गई है।
पिछले विधान सभा सत्र के दौरान रालोद विधायक सुदेश शर्मा की ओर से कपड़ा मिल के श्रमिकों के बकाया भुगतान का मुद्दा जोर शोर से उठाया गया था। जिस पर विधान सभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडे ने पांच विधायकों की एक समिति गठित की थी। समिति ने बंद पड़ी मोदी कपड़ा मिल के विवादों से जुड़ी जानकारी मांगी। इसी आधार पर एसडीएम ने जांच में पाया कि मोदी कपड़ा मिल की भूमि शासन की ओर से उद्योग लगाने के लिए दी गई थी। समूह के प्रबंधकों की ओर से यह विवाद वित्तीय बोर्ड(बाइफर) व ऋण प्राधिकरण बोर्ड (डीआरटी) दिल्ली कोर्ट में ले जाया गया। लेकिन बोर्ड की ओर से शासन से इस संबंध में कोई आख्या नहीं मांगा गया है। एसडीएम ने भूमि बेचे जाने के इस प्रकरण को तथा मिल पर श्रमिकों के बकाया वेतन सहित सरकारी संस्थानों का देय आदि मामलों की पूरी रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजी है।
एसडीएम कृष्णा करूणेश का कहना है कि उद्योग लगाने के लिए दी गई भूमि को बेचे जाने के लिए शासन से अनुमति लेना जरूरी है। उन्होंने इसे शासन के नियमों का उल्लंघन माना है। मोदी कपड़ा मिल की चार इकाइयां दो दशक पूर्व बंद किये जाने से करीब 20 हजार से अधिक मजदूर बेरोजगार हो गए और तभी से श्रमिक न्याय पाने की उम्मीद रखे हुए हैं। 15 अक्टूबर को शासन की ओर से विधायकों की गठित समिति के समक्ष रिपोर्ट रखी जानी है।