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किशोरी को बंधक बना तीन साल से करा रहे थे घरेलू काम

By Edited By: Published: Fri, 22 Aug 2014 08:29 PM (IST)Updated: Fri, 22 Aug 2014 08:29 PM (IST)
किशोरी को बंधक बना तीन साल से करा रहे थे घरेलू काम

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद :

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किशोरी को बंधक बनाकर एक चिकित्सक परिवार पिछले तीन साल से घरेलू काम करवा रहा था। दो दिन पहले वह छत से कूदकर भाग गई। एक दिन तक सड़क पर घूमती रही। इसके बाद पुलिस को मिली। पुलिस ने उसे चाइल्ड लाइन को सौंप दिया है। करीब दस वर्षीय यह बच्ची फिलहाल कविनगर के प्रेरणा परिवार बाल आश्रम में है। सोमवार को उसे कोर्ट में पेश किया जाएगा।

लातेहार झारखंड की रहने वाली किशोरी को तीन साल पहले मोतीनगर दिल्ली की एक प्लेसमेंट एजेंसी ने हायर किया था। झारखंड के स्थानीय लोगों के माध्यम से बच्ची दिल्ली आई। इसके बाद पुराने बस अड्डे गाजियाबाद के एक चिकित्सक एजेंसी से बच्ची को अपने घर ले आए। यहां पर पिछले तीन साल से घरेलू काम करवाया जा रहा था। उसे घर से नहीं निकलने दिया जाता था। साथ ही उसके साथ मारपीट भी की जाती थी। ठीक तरह से खाना भी नहीं दिया जाता था। दो दिन पहले बच्ची किसी तरह छत से कूदकर बाहर निकली और पुलिस को मिली। इसके बाद पुलिस ने पूछताछ करने के बाद कोर्ट में पेश किया। कोर्ट से बच्ची को कविनगर के प्रेरणा परिवार बाल आश्रम को सौंप दिया गया।

बच्ची की हो रही काउंसिलिंग

प्रेरणा परिवार बाल आश्रम के संचालक आचार्य तरूण का कहना है कि बच्ची की काउंसिलिंग की जा रही है। दो दिन से वह बार-बार रो रही है। शुक्रवार को उसने कुछ बातचीत की। इसके बाद पता चला कि वह लातेहार झारखंड की रहने वाली है। उसके माता-पिता से संपर्क करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

सहमी हुई है किशोरी

तीन साल में पहली बार बच्ची ने बाहर का माहौल देखा। जब भी उससे कुछ पूछा जाता तो वह रोने लगती है। फिर सुबकते हुए कहती है कि उसके साथ मारपीट होती थी। खाना नहीं दिया जाता था। 15 घंटे काम कराया जाता था। अब वह अपने घर लौटना चाहती है।

मानव तस्करी का गढ़ रहा है झारखंड

झारखंड के आदिवासी इलाके में बहुत गरीबी होने के कारण मानव तस्करी का धंधा बहुत पहले से फला फूला हुआ है। दिल्ली व एनसीआर की प्लेसमेंट एजेंसियां स्थानीय लोगों को पैसे देकर बच्चों को दिल्ली लेकर आती हैं। इसके बाद उन्हें मोटा पैसा लेकर घरेलू कामकाज के लिए दूसरे लोगों के हवाले कर दिया जाता है। घरों में काम कराने के दौरान अक्सर बच्चों का उत्पीड़न किया जाता है।


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