पासपोर्ट की पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट सुधारने का होगा प्रयास
विवेक त्यागी, गाजियाबाद
पासपोर्ट के लिए पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट भेजने के मामले में हाथरस का सबसे बुरा हाल है। हाल तो गाजियाबाद पासपोर्ट कार्यालय के अधिकारी क्षेत्र में आने वाले बाकी जिलों का भी अच्छा नहीं है, लेकिन हाथरस से बेहतर ही हैं। बिगड़े हालातों को सुधारने के लिए क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी लगातार प्रयासरत हैं। इसी कड़ी में बृहस्पतिवार को गाजियाबाद पासपोर्ट कार्यालय में छह जिलों के नोडल अधिकारियों को बैठक के लिए बुलाया गया है।
गाजियाबाद स्थित क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय से 13 जिलों के पासपोर्ट जारी होते हैं। इनमें हाथरस ऐसा जिला है जहां पासपोर्ट की पुलिस वेरिफिकेशन के लिए ऑनलाइन आवेदन न तो रिसीव होते हैं और न ही ऑनलाइन रिपोर्ट मिलती है। आगरा, मथुरा, मुजफ्फरनगर, शामली और बागपत जिलों में पासपोर्ट की पुलिस वेरिफिकेशन के लिए ऑनलाइन आवेदन रिसीव तो होते हैं लेकिन ऑनलाइन रिपोर्ट नहीं मिलती। इसी समस्या के निस्तारण के लिए क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी सीताराम यादव ने हाथरस, आगरा, मथुरा, मुजफ्फरनगर, शामली और बागपत जिले में पासपोर्ट के लिए नामित किए गए नोडल अफसरों की बैठक बुलाई है। इसमें ऑनलाइन आवेदन रिसीव और न भेजने के बिंदुओं पर विचार-विमर्श कर किया जाएगा। आगरा, अलीगढ़, बागपत, बुलंदशहर, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, हाथरस, मथुरा, मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, शामली, हापुड़ जिलों के बनते हैं पासपोर्ट।
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- रोज 800 पासपोर्ट जाते हैं वेरिफिकेशन रिपोर्ट के लिए :
क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी ने बताया कि गाजियाबाद पासपोर्ट कार्यालय के अधिकार क्षेत्र में आने वाले 13 जनपदों के करीब 800 पासपोर्ट रोज पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट के लिए जाते हैं। 21 दिन में पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट देने पर विदेश मंत्रालय प्रत्येक रिपोर्ट पर 100 रुपये पुलिस महकमे को देता है, जबकि 21 दिन से ज्यादा में वेरिफिकेशन रिपोर्ट भेजने पर पुलिस महकमे को महज 25 रुपये मिलते हैं। यदि 100 रुपये प्रत्येक वेरिफिकेशन रिपोर्ट के हिसाब से ही आंकड़ा लगाया जाए तो करीब 8000 रुपये प्रतिदिन केंद्र सरकार राज्य के कोष में देगी, लेकिन पुलिस की लेटलतीफी से ज्यादातर वेरिफिकेशन रिपोर्ट 21 दिन के बाद ही मिलती है। जिस कारण राज्य सरकार को प्रत्येक रिपोर्ट पर 25 रुपये ही मिल पाते हैं।
- केंद्र राज्य सरकार के कोष में भेजती है राशि
पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट के एवज में दी जाने वाली धनराशि केंद्र सरकार सीधे राज्य सरकार के कोष में भेजती है। अफसरों के मुताबिक वेरिफिकेशन रिपोर्ट के लिए केंद्र सरकार राज्य को छमाही और वार्षिक आधार पर भुगतान करती है।
लेटलतीफी से होती है देरी
गाजियाबाद समेत 13 जिलों में पासपोर्ट की पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट पासपोर्ट कार्यालय को 40-50 दिन में मिल रही है। पुलिस रिपोर्ट के अभाव में पासपोर्ट कार्यालय आवेदकों को पासपोर्ट जारी नहीं कर सकता। इसके चलते आवेदकों को पुलिस की लेटलतीफी से बेवजह परेशान होना पड़ता है। पुलिस निजी स्वार्थ से निश्चित समयावधि में रिपोर्ट नहीं देती।
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पासपोर्ट आवेदकों की सहूलियत के लिए विदेश मंत्रालय लगातार प्रयास कर रहा है। जिन छह जिलों से पासपोर्ट की पुलिस वेरिफिकेशन के लिए ऑनलाइन आवेदन न तो रिसीव होते हैं और न ही ऑनलाइन रिपोर्ट मिलती है, उन सभी जिलों में पासपोर्ट के लिए नामित किए गए नोडल अधिकारियों को बैठक के लिए बुलाया गया है। इसमें समस्या का समाधान किया जाएगा ताकि पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट की लेटलतीफी से पासपोर्ट जारी करने में हो रही परेशानी का समाधान किया जा सके।
- सीताराम यादव, क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी