जूनियर्स की खातिर महकमे से दुश्मनी
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: वो एक महिला हैं। कई बार शोषण के खिलाफ पुरुष शिक्षक भी जुबां नहीं खोलते,
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: वो एक महिला हैं। कई बार शोषण के खिलाफ पुरुष शिक्षक भी जुबां नहीं खोलते, लेकिन उनके मामले में बात जुदा है। अपने अधिकारों का हनन छोड़िए। अगर दूसरे के अधिकारों पर भी आंच आए तो वो सबसे आगे खड़ी होती हैं। शिक्षामित्रों की आवाज उठाने पर तो महकमा ही 'दुश्मन' बन गया। आला अधिकारियों के समक्ष लापरवाह साबित करने का भी प्रयास किया, लेकिन जांच में पाक-साफ निकली कल्पना राजौरिया के प्रयास रंग लाए और शासन को एक खंड शिक्षाधिकारी को निलंबित करना पड़ा।
नौकरी से पहले से सामाजिक संगठनों से जुड़ी रहीं कल्पना की आदत में समाजसेवा शामिल है। कभी महिलाओं को स्वरोजगार के लिए गांव-गांव प्रेरित करने वाली कल्पना बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षक बनीं तो नौकरी के बाद भी यह जज्बा गया नहीं। 2015 में शिक्षामित्रों के सत्यापन की बारी आई तो नगर क्षेत्र में शिक्षामित्रों के समक्ष तीन-तीन हजार रुपये की डिमांड रखी गई। 3500 रुपये महीना मानदेय पाने वालों से जब वसूली की जानकारी कल्पना तो मिली तो उन्होंने विरोध किया। शिक्षामित्रों ने भी इसका विरोध किया। इससे महकमे में खलबली मच गई, लेकिन अंतिम दिन तक सत्यापन से जुड़े अभिलेखों पर हस्ताक्षर न होने पर नौकरी की खातिर कइयों ने रुपये दे दिए, लेकिन कल्पना ने हार नहीं मानी। मामला शिक्षाधिकारियों तक पहुंचा तो जांच बैठा दी गई। हालांकि यहां भी खेल हो गया। अधिकारियों के बजाए एक कर्मचारी पर गाज गिरा कर मामला रफा-दफा कर दिया। ऐसे में शिक्षामित्रों की आवाज को कल्पना ने शासन तक पहुंचाया। लड़ाई अपने ही विभाग के अधिकारियों से थी, ऐसे में शिक्षामित्र सहमे हुए थे, लेकिन कल्पना ने यहां भी मोर्चा संभाला। नतीजा यह रहा कि शिक्षामित्रों ने लिखित में बयान दिए और शासन से तत्कालीन नगर शिक्षाधिकारी को निलंबित कर दिया। कल्पना विभाग के पुराने रिवाजों के खिलाफ संघर्ष करती रही हैं। 2011 में बाउंड्री के लिए आए धन में कमीशन को लेकर गांव के ही एक जनप्रतिनिधि से विवाद होने पर प्रशासन ने हस्तक्षेप किया। एक भवन निर्माण की रिकवरी होने के बाद भी विभाग से दूसरा रिकवरी नोटिस जारी होने पर कल्पना ने जब मोर्चा खोला तो विभाग को झुकना पड़ा।
साजिशों का किया सामना
शिक्षामित्रों की आवाज उठाने पर कल्पना पर महकमे ने काफी दबाव भी डाला। नगर में तैनात अफसरों ने तो डीएम के यहां गलत जांच रिपोर्ट भेज कर लापरवाह ठहराने का प्रयास भी किया, लेकिन कल्पना इससे भी पीछे नहीं हटीं। सर्वे की वीडियोग्राफी प्रस्तुत कर साजिशों की पोल खोल दी।
तकरार के बाद दिलाया वेतन
पिछले दिनों सत्यापन के बाद भी नगर के शिक्षामित्रों का वेतन रुक गया। कोई आगे नहीं बढ़ा। शिक्षामित्रों के नाम पर चल रहे संघ भी चुप रहे। वेतन जारी करने के बीएसए के लिखित आदेश बाबुओं ने फाइलों में दबा दिए। इस मामले में भी कल्पना ने ही इनकी आवाज उठाई। आदेश न होने की बात करते हुए शिक्षामित्रों को गुमराह करने वाले बाबुओं को उन्होंने बीएसए के समक्ष पेश किया तो मामला खुलकर सामने आ गया। बीएसए ने बाबूओं की डांट लगाई। इसके बाद में पांचवें दिन वेतन जारी हो गया।