बगैर पत्रावली देखे दी जाती रही एनओसी
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: फीरोजाबाद का कार्यभार संभाले उपायुक्त उद्योग आगरा बीरेंद्र कुमार को काफी
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: फीरोजाबाद का कार्यभार संभाले उपायुक्त उद्योग आगरा बीरेंद्र कुमार को काफी वक्त बीत गया है, लेकिन फिर भी अभी तक कोयले की खपत से जुड़ी पत्रावलियां उन्हें नहीं मिली हैं। कर्मचारी कोयले की पत्रावलियां विभिन्न मामलों के चलते मुख्यालय व विजीलेंस के पास होने की बात कर रहे हैं। अब सवाल यह है कि जब पत्रावलियां सालों पहले जांच के दौरान विजीलेंस की टीम ले गई तो फिर इन इकाइयों को विस्तारीकरण की एनओसी कैसे मिल गई?
फीरोजाबाद की कांच इकाइयों के विस्तारीकरण का मामला एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) में चल रहा है। सेफ संस्था ने इस इकाइयों को जिला उद्योग केंद्र से मिली एनओसी पर भी आपत्ति जताई है। मामले में उपायुक्त उद्योग को अपना जवाब दाखिल करना पड़ सकता है। उपायुक्त उद्योग बीरेंद्र कुमार विस्तारीकरण में फंसी इकाइयों से जुड़ी कोयला खपत की पत्रावलियां कई बार मांग चुके हैं, लेकिन अभी तक पत्रावलियां नहीं मिली हैं। जबकि इन्हीं पत्रावलियों के आधार पर पूर्व उपायुक्त ने इकाइयों को एनओसी जारी की थी। एनओसी पर भी सवाल उठ रहे हैं। कुछ फाइलों के बारे में कहा जा रहा है कि वे विजीलेंस के पास में हैं।
कई साल पुराने कोयला घोटाले की सालों पहले विजीलेंस जांच हुई थी। इसमें फीरोजाबाद की भी कई इकाइयां फंसी थी। इनसे जुड़ी हुई कोल आवंटन की पत्रावलियां उस समय विजीलेंस को भेजी गई थी।
सवाल यह भी खड़ा है कि आखिर जब पत्रावलियां विभाग के पास नहीं थी तो पूर्व उपायुक्त उद्योग ने इन इकाइयों को किस आधार पर विस्तारीकरण के लिए एनओसी दे दी। इसकी विस्तृत जांच की जरूरत है। सूत्रों की माने तो पत्रावली विजीलेंस के पास होने की आड़ में विभागीय सांठ-गांठ से कई ऐसी इकाइयों को क्षमता विस्तारीकरण की अनुमति दे दी गई, जो इसकी पात्र नहीं थी। हालांकि इसका खुलासा पत्रावलियों के मिलने के बाद ही होगा।
विजीलेंस को भेजी पत्रावलियों का होगा रिकॉर्ड
कर्मचारी विभागीय अफसरों को भी गुमराह कर रहे हैं। सूत्र कहते हैं कि पत्रावलियों के न मिलने पर पिछले दिनों अधिकारियों ने कहा कि कौन-कौन सी पत्रावली कहां पर हैं, इसकी सूची बनाओ, लेकिन सूची नहीं बनी। किन इकाइयों की पत्रावली विजीलेंस के पास भेजी गई हैं और किनकी मुख्यालय पर है? इसकी जानकारी भी विभाग नहीं दे रहा है। अगर सूची तैयार हो गई तो उन पत्रावलियों का भेद खुल जाएगा।