चु¨नदा होनहारों के सुनहरे ख्वाब टूटेंगे गरीबी तले
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद : भूत नगरिया निवासी पवन कुमार नौहवार। अंग्रेजी बोलने में पवन माहिर है। हा
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद : भूत नगरिया निवासी पवन कुमार नौहवार। अंग्रेजी बोलने में पवन माहिर है। हाईस्कूल में टेन सीजीपीए अंक थे तो इंटर में बीमारी के चलते 75 फीसद रह गए। अपनी मेहनत के बल पर पवन ने सेंट्रल यूनीवर्सिटी ऑफ राजस्थान में बॉयोटैक के लिए प्रवेश भी पा लिया, लेकिन पवन की राह में आड़े आ गई गरीबी। विद्या ज्ञान स्कूल में कक्षा छह से इंटर तक शिक्षा के साथ में रहना एवं खाना भी मुफ्त था। लिहाजा पवन ने सीबीएसई बोर्ड से इंटर की परीक्षा तो उत्तीर्ण कर ली, लेकिन अब प्रवेश के बाद भी पवन जाने का साहस नहीं जुटा पा रहा है।
पवन के पिता नत्थीलाल का सन् 2013 में निधन हो गया। मां राजकुमारी देवी भूत नगरिया के स्कूल में रसोइया हैं। जहां पर हर माह एक हजार रुपये मानदेय मिलता है, वो भी कई-कई महीने बाद। न तो विधवा पेंशन मिलती है न ही कोई अन्य मदद। परिवार पर बीपीएल कार्ड भी नहीं है। इंटर तक पवन विद्या ज्ञान स्कूल बुलंदशहर के सिकंदराबाद स्कूल में रहकर पढ़ाई की। परिवार को भी उम्मीद थी जब जिले भर से चु¨नदा बच्चों में पवन का चयन हुआ है तो आगे जाकर पवन बेहतर करियर पाएगा, लेकिन अब परिवार की उम्मीद टूट रही है। घर की आर्थिक तंगी के चलते पवन बॉयोटैक करने का ख्वाब छोड़ने पर मजबूर है तथा अब नौकरी करते हुए बीएससी करने का मन बना रहा है। इन होनहार बच्चों की पढ़ाई पर खर्च करने वाले शिव नाडर फाउंडेशन को इसकी जानकारी हुई तो फाउंडेशन से जुडे़ हुए सेवानिवृत्त आइएएस प्रोजेक्ट डायरेक्टर विद्या ज्ञान एसके माहेश्वरी ने बच्चों को आकर समझाया।
यह स्थिति सिर्फ पवन की नहीं है। मुहम्मदपुर डोरसा निवासी साइन खान को भी देखें। सात वर्ष पूर्व जब साइन खान कक्षा छह में थीं तो जिले से चुने गए चु¨नदा बच्चों के रूप में साइन खान को भी विद्या ज्ञान स्कूल में जाने का मौका मिला। साइन खान ने भी इंटर तक विद्या ज्ञान स्कूल में पढ़ाई की। सीबीएसई बोर्ड में 82 फीसद से ज्यादा अंक पाने वाली साइन खान ने कॉलेज से ही दिल्ली विश्वविद्यालय का फॉर्म भरा। बीकॉम के लिए गार्गी गर्ल्स कॉलेज में प्रवेश हो गया। साइन के पिता मजदूरी करते हैं, उन्होंने भी बच्ची के बेहतर भविष्य के ख्वाब को देखते हुए स्कूल की 9275 रुपये फीस जमा कर दी, लेकिन अब जब अन्य खर्च के रूप में उनके समक्ष प्रतिमाह दस हजार रुपये से ज्यादा खर्च की स्थिति आई तो उन्होने साइन के अभिलेख वापस मंगा लिए हैं। साइन खान के भाई साहिल खान भी मजदूरी कर पढ़ाई कर रहे हैं। साहिल कहते हैं अब बहन को यहीं किसी कॉलेज में पढ़ाना मजबूरी होगा। अभी दिल्ली से फीस के रुपये भी वापस नहीं हुए हैं।
एक अगस्त को बुलाए हैं स्कूल में छात्र :
देहात के निर्धन बच्चों की पढ़ाई पर शिव नाडर फाउंडेशन ने काफी खर्च किया। इस वर्ष पहला बैच निकलने के बाद में अब तमाम बच्चों के समक्ष यह समस्या आ रही है कि बेहतर भविष्य के लिए उच्च शिक्षा ग्रहण नहीं कर पा रहे हैं। इसके लिए सभी जिलों में इन बच्चों के अभिभावकों से फाउंडेशन के अधिकारी संपर्क कर रहे हैं, ताकि इन होनहारों की प्रतिभा गरीबी के बोझ तले नहीं दब सके। इसके लिए जिले बांटे गए हैं।
'हमारा प्रयास है कि यह बच्चे उच्च शिक्षा ग्रहण कर सकें। बच्चे होनहार हैं, जिनका प्रदेश भर से चयन किया गया था। इन्हें इंटर तक संस्था द्वारा शिक्षा प्रदान की गई। अब बच्चों की शिक्षा में गरीबी की समस्या बन रही है। हम बच्चों को आगे की शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति एवं अन्य संसाधन से मदद करने का प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए अभिभावकों से हमने जिले में आकर बात की है। एक अगस्त को कॉलेज में इनके लिए विशेष काउंसि¨लग कराई जा रही है, ताकि इन बच्चों की प्रतिभा दब न सके। कुछ बच्चे अच्छे संस्थानों में गए हैं।'
-एसके माहेश्वरी
प्रोजेक्ट डायरेक्टर
विद्या ज्ञान स्कूल