जिनकी हुई जांच, उनसे रिकवरी, शेष को अभयदान
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद : वेतन निर्धारण के दौरान हुई चूक का ऑडिट में खुलासा होने के बाद भी अस्पता
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद : वेतन निर्धारण के दौरान हुई चूक का ऑडिट में खुलासा होने के बाद भी अस्पताल प्रशासन का ध्यान इस तरफ नहीं गया है। ऑडिट टीम की रेंडम जांच के बाद में यह साफ हो गया है छठवां वेतन आयोग आने के बाद वेतन के निर्धारण में बड़ी चूक हुई, लेकिन इसके बाद भी अस्पताल के अन्य स्टाफ एवं चिकित्सकों की सर्विस बुक की जांच नहीं कराई जा रही है। जिन चिकित्सकों के खिलाफ रिकवरी जारी हुई है, उनसे रिकवरी करा कर मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा है, जबकि अस्पताल के समूचे स्टाफ की सर्विस बुक की जांच होनी चाहिए, क्योंकि जिस फॉर्मूले के आधार पर 16 चिकित्सकों के वेतन का निर्धारण हुआ, उसी फॉर्मूले के आधार पर पूरे स्टाफ का वेतन लगा है। शासन ने अभी सात चिकित्सकों पर वेतन की 12 लाख तथा नौ चिकित्सकों पर वाहन भत्ते की 172000 रुपये की रिकवरी निकाली है, अगर जांच हो तो अन्य से भी बड़ी रिकवरी हो सकती है।
चु¨नदा सर्विस बुक की हुई थी जांच
ऑडिट टीम ने भी पूरे स्टाफ की सर्विस बुक की जांच नहीं की थी। बताते चलें 2015 में आई ऑडिट टीम ने मात्र सात-आठ चिकित्सकों की सर्विस बुक निकाल कर ही जांच की थी। इन सभी चिकित्सकों की सर्विस बुक की जांच में वेतन निर्धारण में खामी पकड़ी गई। सभी चिकित्सकों का वेतन ज्यादा लगा हुआ था। ऑडिट टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट में इन चिकित्सकों की रिपोर्ट तो बनाई, लेकिन अन्य स्टाफ की सर्विस बुक की जांच नहीं की, जबकि अस्पताल में सब मिलाकर स्टाफ के रूप में आठ दर्जन करीब कर्मचारी कार्यरत हैं। जिनमें दो दर्जन के करीब चिकित्सक हैं। अस्पताल के सूत्रों की माने तो अन्य का वेतन निर्धारण भी गलत हुआ है तथा सरकार के धन के रूप में ज्यादा धनराशि अन्य स्टाफ ले रहा है।
फॉर्मूला था गलत, तो फिर अन्य का भी वेतन गलत :
सन 2008 में पूरे अस्पताल का वेतन निर्धारण एक साथ हुआ था। उस वक्त सिर्फ एक ही लिपिक यहां पर तैनात थे। वेतन निर्धारण में उनसे ही चूक मानी जा रही है। बाद में उक्त लिपिक का आगरा स्थानांतरण हो गया तथा वहां से वह सेवानिवृत्त हो गए। हालांकि चिकित्सकों से बातचीत में लिपिक अभी भी अपने वेतन निर्धारण को सही बता रहे हैं, लेकिन कहीं न कहीं फॉर्मूला गलत हुआ है। ऐसे में समस्त स्टाफ के वेतन निर्धारण की जांच सर्विस बुक के आधार पर होनी चाहिए।
लिपिकीय चूक का खामियाजा भुगत रहे चिकित्सक: इधर अस्पताल के चिकित्सक परेशान हैं। लिपिकीय चूक का खामियाजा इन्हें भुगतना पड़ रहा है। हालांकि वेतन निर्धारण के बाद में प्रमोशन पाने वाले चिकित्सक सुकून में हैं, क्योंकि प्रमोशन पाने पर फिर से वेतन निर्धारण हुआ तो इनकी त्रुटि सही हो गई। ऐसे में यह केवल दो-तीन वर्ष ही त्रुटिपूर्ण वेतन पा सके। ऐसे में इनसे होने वाली रिकवरी भी एक लाख से कम है, लेकिन जिनका प्रमोशन नहीं हुआ, उनकी रिकवरी लाखों में पहुंच गई है। एक चिकित्सक की रिकवरी तो पौने छह लाख रुपये से ज्यादा है। चार वर्ष इनकी सेवानिवृत्ति में शेष हैं। ऐसे में इन्हें प्रतिमाह 12 से 15 हजार रुपये तक वेतन से कटवाना पड़ेगा।
अफसर कहिन
'वेतन निर्धारण में चूक हुई है। अगर एक ही लिपिक ने वेतन निर्धारण किया था तो पूरे स्टाफ के वेतन की जांच होनी चाहिए। इस संबंध में हम सीएमएस को पत्र लिख कर निर्देश देंगे कि पूरे स्टाफ की जांच कराई जाए, ताकि अगर सरकार की धनराशि ज्यादा पहुंची है तो उसकी वापसी सुनिश्चित की जा सके।'
-डॉ.पुष्कर आनंद
मुख्य चिकित्साधिकारी
फीरोजाबाद।
'ऑडिट टीम की जांच के आधार पर रिकवरी जारी हुई है। अन्य स्टाफ की जांच के लिए हमारे पास लेखाकार नहीं है। शासन से हमने लेखाकार मांगे हैं।'
-डॉ.अजय कुमार शुक्ला
मुख्य चिकित्साधीक्षक
जिला अस्पताल फीरोजाबाद।