आंगनबाड़ी केंद्रों पर हॉट कुक्ड बंद
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: सरकार की अनदेखी के कारण आंगनबाड़ी केंद्रों की उपयोगिता घटती जा रही है। जि
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: सरकार की अनदेखी के कारण आंगनबाड़ी केंद्रों की उपयोगिता घटती जा रही है। जिले के किसी भी केंद्र पर पिछले तीन महीनों से हॉट कुक्ड (गरमा गरम भोजन) नहीं बना है। बच्चों को पुष्टाहार के नाम पर सिर्फ पंजीरी लेकर ही लौटना पड़ रहा है। ऐसे में सरकार के राज्य पोषण मिशन की सफलता भी खतरे में पड़ गई है।
बच्चों में कुपोषण दूर करने को भारत सरकार बाल विकास परियोजना के अंतर्गत आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन करती है। इनमें तीन से छह साल तक के बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जाता है। खिचड़ी और दलिया जैसे खाद्य पदार्थों से न सिर्फ उनकी भूख शांत होती है, बल्कि कई तरह पोषक तत्व भी मिलते हैं। आंगनबाड़ी केंद्रों पर पहले पके हुए हॉट कुक्ड की आपूर्ति स्वयंसेवी संस्थाओं से कराई जाती थी, लेकिन काफी गड़बड़ी की शिकायतों पर करीब एक वर्ष पूर्व आंगनबाड़ी केंद्रों पर ही गरमागरम भोजन बनाने की व्यवस्था लागू की गई। इसके लिए आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के खाते में धनराशि भी भेजी गई, लेकिन ऐसा कुछ महीने ही चल सका। पिछले तीन महीनों से आंगनबाड़ी केंद्रों पर हॉट कुक्ड बनना पूरी तरह बंद हो गया है। कार्यकत्रियों ने हॉट कुक्ड के लिए धनराशि न मिलने के कारण दलिया, खिचड़ी और हलवा बनाना बंद कर दिया है। इस कारण अब केंद्रों पर बच्चों की संख्या भी कम हो गई है। लाई, चना और फल तो काफी पहले ही बंद हो चुके हैं। जिला कार्यक्रम अधिकारी आभा ¨सह का कहना है कि कई महीनों से बजट नहीं मिला है। इस कारण हॉट कुक्ड नहीं बन पा रहा। बजट आते ही फिर से बनना शुरू हो जाएगा।
कर्जदार हुईं कार्यकत्रियां
कई आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने हॉट कुक्ड के लिए धनराशि न मिलने के बाद भी एक महीने तक इस उम्मीद में राशन उधार लेकर हॉट कुक्ड बनवाया कि बाद में बजट मिलने पर भुगतान कर दिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। अब दुकानदार कार्यकत्रियों से दलिया, चावल एवं अन्य खाद्य पदार्थों की कीमत मांग रहे हैं। कुछ ने अपनी जेब से भुगतान कर दुकानदार से पीछा छुड़ाया, तो किसी को अभी तक बजट का इंतजार है।
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कुछ खिला देती हो क्या
हॉट कुक्ड बंद होने के बाद आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। एक तरफ केंद्रों पर बच्चों की संख्या कम हो गई है, तो दूसरी तरफ वजन दिवस जैसे आयोजनों पर उनका मजाक भी बनता है। एक कार्यकत्री ने बताया कि वह बच्चों का वजन लेने घर जाती है, तो उनकी मां यही कहती है कि तुम क्या कुछ खिला देती हो, जो बार बार वजन लेने आ जाती हो।