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कारोबारियों को भा रही कैशलेस बैं¨कग

जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद : किशन यादव ट्रांसपोर्ट कंपनी चलाते हैं। उन्हें प्रतिदिन हजारों रुपये का

By Edited By: Published: Mon, 23 May 2016 11:34 PM (IST)Updated: Mon, 23 May 2016 11:34 PM (IST)
कारोबारियों को भा रही कैशलेस बैं¨कग

जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद : किशन यादव ट्रांसपोर्ट कंपनी चलाते हैं। उन्हें प्रतिदिन हजारों रुपये का लेनदेन करना होता है। पहले नगद में करते थे कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता था। समय भी खर्च होता और लूटपाट का भी डर बना रहता। अब उन्होंने एटीएम और नेफ्ट के जरिए धनराशि का लेनदेन शुरू कर दिया है। जिससे उनकी आर्थिक ¨चताएं काफी कम हो गई है।

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लंबे सफर पर जा रहे ट्रक में ईंधन भरवाने के लिए वह अब ड्राइवर को बड़ी नगदी नहीं देते। ड्राइवर को जहां भी डीजल भरवाना होता है वहां पेट्रोल पंप मालिक का बैंक खाता नंबर और आइएफएससी कोड की जानकारी मोबाइल पर बता देता है। इसके बाद किशन यादव नेफ्ट (नेशनल इलेक्ट्रोनिक फंड ट्रांसफर) के माध्यम से डीजल की कीमत पेट्रोल पंप मालिक के बैंक खाते में भेज देते हैं। दरअसल नगद लेन देन में जोखिम और समय की बर्बादी को देखते हुए अब कारोबारी भी कैशलेस बैं¨कग की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।

बैंकें भी उपभोक्ताओं की जरूरत को ध्यान में रखते हुए इस दिशा में आगे बढ़ रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस कैशलेस सोसायटी बनाने की बात कही , वह काफी हद तक पहले ही अस्तित्व में आ गई हैं। कैशलेस बैं¨कग अब व्यापार का जरूरी अंग बन गया है। कांच नगरी में नेट बैं¨कग का जमकर प्रयोग हो रहा है। सरकारी लेनदेन तो अब 98 फीसद तक कैशलेस हो गया है। वेतन, पेंशन, छात्रवृति, शुल्क प्रतिपूर्ति, विभिन्न प्रकार के अनुदान अब सीधे लाभार्थियों के खाते में भेजे जाते हैं।

बैंक अधिकारियों का मानना है कि प्राइवेट सेक्टर में भी 50 से 60 फीसद लेनदेन चेक, ड्राफ्ट, मोबाइल बैं¨कग, नेफ्ट और आरटीजीएस के माध्यम से हो रहा है। इससे सभी को फायदा है। एक तरफ बैंकों में भीड़ कम होती है तो दूसरी ओर उपभोक्ता का रिस्क भी कम होता है।

भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य प्रबंधक डीके वर्मा का कहना है कि अब 40 फीसद उपभोक्ता ही नकद लेन देन करते हैं। बैंकों का उद्देश्य भी यही है कि ज्यादा से ज्यादा उपभोक्ता कैशलेस बैं¨कग करें।

रजिस्ट्री में अब भी हो रहा नगद भुगतान

इतना होने के बाद भी संपति के बैनामा कराते समय ज्यादातर मामलों में लेनदेन नगद ही हो रहा है। पिछले साल भारत सरकार ने रजिस्ट्री में 20 हजार से अधिक के नगद लेनदेन पर रोक लगा दी है। इसके बाद भी अधिकांश बैनामे नगद में ही हो रहे हैं।

जो लोग प्रॉपर्टी डी¨लग का काम करते हैं उन्हें तो कैशलेस लेनदेन पर आयकर विभाग की कार्यवाही का डर रहता है। वहीं कुछ कैशलेस लेनदेन के तरीकों से वाकिफ न होने के कारण नकद पर भी भरोसा करते हैं।

ग्राहकों को भा रही एटीएम सेवा

बैंकों द्वारा शुरू की गई एटीएम (ऑल टाइम मशीन) सेवा कैशलेस बैं¨कग सेवा का सबसे अच्छा माध्यम बन गई है। कम पढ़े लिखे लोग भी इसका बखूबी प्रयोग कर रहे हैं। यही वजह है कि एटीएम की संख्या बढ़ने के बाद भी उनकी नगदी बहुत जल्द खत्म हो जाती है। एटीएम की इस बढ़ती उपयोगिता को देखते हुए अब डाक विभाग को भी एटीएम लगवाने पड़े हैं। प्रधान डाकघर में पहला एटीएम लग गया है। भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य प्रबंधक डीके वर्मा ने बताया कि कैसलेस बैं¨कग के सभी माध्यमों एटीएम सबसे लोकप्रिय साधन है।

अब रात में भी जमा करिए रुपये

कैशलेस बैं¨कग को बढ़ावा देने के लिए बैंकें अब छोटे शहरों में भी हाईटेक इंतजाम कर रही हैं। वह दिन अब ज्यादा दूर नहीं जब भारतीय स्टेट बैंक के उपभोक्ता रात के दो बजे भी चेक और नगदी अपने खाते में जमा कर पाएंगे। स्टेट बैंक जून में ई-कॉर्नर शुरू करने जा रही है। जो साल के 365 दिन और 24 घंटे काम करेगा। चेक जमा करने के बाद मशीन तुरंत ही उसकी रसीद देगी। उपभोक्ता अपनी पासबुक में एंट्री भी करा सकेंगे। यदि कोई प्रक्रिया गलत होगी तो मशीन बोलकर उसकी जानकारी भी देगी।


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