एनजीटी में कई महकमे नहीं दाखिल कर पाए जवाब
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: कांच इकाइयों के विस्तारीकरण एवं अन्य मुद्दों पर एनजीटी में कई महकमे त
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: कांच इकाइयों के विस्तारीकरण एवं अन्य मुद्दों पर एनजीटी में कई महकमे तय वक्त पर अपना जवाब दाखिल नहीं कर पाए। हालांकि टीटीजेड (ताज ट्रिपेजियम जोन) अथॉरिटी एवं उपायुक्त उद्योग का जवाब एनजीटी में पहुंच गया, लेकिन अन्य जवाब न पहुंचने पर एनजीटी ने अन्य विभागों को 15 दिन की मोहलत देकर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।
फीरोजाबाद कांच उद्योग के विस्तारीकरण के साथ कई मामलों पर एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) में शिकायत की थी। 89 इकाइयों के पास प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सहमति न होने पर भी इनके संचालन के साथ में विस्तारीकरण के संबंध में हुई शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए एनजीटी ने पेट्रोलियम मंत्रालय सहित प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं अन्य विभागों से जवाब तलब किया था। इस मामले में एनजीटी में नौ अक्टूबर को सुनवाई थी। लिहाजा शुक्रवार को फीरोजाबाद के उद्योग जगत की निगाहें दिल्ली में ही जमी थीं। बताया जाता है एनजीटी में गेल इंडिया, पेट्रोलियम मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड उत्तर प्रदेश अभी तक जवाब दाखिल नहीं कर पाए। ऐसे में गेल ने अब सुनवाई के लिए 19 नवंबर की तिथि नियत की है। विभागों को जवाब देने के लिए 15 दिन की मोहलत दी है। इसके बाद शिकायतकत्र्ता इन जवाबों पर अपना पक्ष एनजीटी के समक्ष रखेंगे।
कुछ उद्यमी दिल्ली पहुंचे, कुछ अधिवक्ताओं से लेते रहे जानकारी
एनजीटी में सुनवाई को लेकर कांच उद्योग में भी उत्सुकता रही। भले ही एनजीटी ने उद्यमियों को पार्टी नहीं बनाया, लेकिन कुछ उद्यमी इसके बावजूद दिल्ली में एनजीटी की सुनवाई मामले की जानकारी के लिए पहुंचे। कई उद्यमी दिल्ली में अपने अधिवक्ताओं से पल-पल की खबर लेते रहे।
यह हुई शिकायतें
- 89 इकाइयों ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से सहमति पत्र नहीं लिए हैं।
- 72 इकाइयों ने रोक के बावजूद विस्तारीकरण कर लिया।
- इन 72 इकाइयों को गेल ने गैस की सप्लाई दी है।
- सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी 625 की सूची में न होने के बावजूद 12 इकाइयों को संचालन की अनुमति देते हुए गैस दी।
- सात इकाइयां सालों से बंद पड़ी थीं, उन्हें वर्ष 2012 के बाद संचालन की अनुमति दी।
यह लगाए आरोप
- शपथ पत्र के आधार पर गलत प्रमाण पत्र जारी किए हैं।
- प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नियमों की अनदेखी कर सहमति पत्र जारी किए हैं।