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पानी बचाने को समितियां गांव गांव कर रहीं जागरुक

जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद : भू गर्भ जल बचाने एवं जल संरक्षण के लिए भारत सरकार कई स्तर पर प्रयास

By Edited By: Published: Tue, 02 Jun 2015 06:47 PM (IST)Updated: Tue, 02 Jun 2015 06:47 PM (IST)
पानी बचाने को समितियां गांव गांव कर रहीं जागरुक

जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद : भू गर्भ जल बचाने एवं जल संरक्षण के लिए भारत सरकार कई स्तर पर प्रयास कर रही है। ग्रामीणों के सहयोग के बिना इंटीग्रेटेड वाटरशेड मैनेजमेंट प्रोग्राम (आइडब्ल्यूएमपी) सफल नहीं हो सकता सरकार ये अच्छी तरह जानती है। इसलिए गांवों में जागरूकता अभियान शुरू किया गया है।

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आइडब्ल्यूएमपी के अंतर्गत एका ब्लॉक के 40 से अधिक गांवों में जल संरक्षण के लिए खेतों में मेंड़बंदी का कार्य शुरू किया गया है। भारत सरकार ने सैटेलाइट से उन स्थानों को चिन्हित किया है, जिनके नीचे भूगर्भ जल स्तर लगातार गिर रहा है। इन स्थानों को गांवों के नक्शे में हरे रंग से इंगित किया गया है। इन स्थानों पर मेंड़बंदी के लिए किसानों की सहमति होना आवश्यक है। किसान इस कार्य की महत्ता को समझें और मेंड़बंदी की सहमति दे दें। इसके लिए गांवों में वाटरशेड समितियों का गठन किया गया। प्रत्येक गांव में दस सदस्यीय समिति गठित की जा रही है। जिसका अध्यक्ष प्रधान या ग्राम पंचायत सदस्य को बनाया जाता है। सचिव का चुनाव समिति के सदस्य मिलकर करते हैं। शर्त ये है कि सचिव पढ़ा लिखा होना चाहिए जो पूरे कार्य की निगरानी कर सके। सचिव ही इस समिति की रीढ़ है। भारत सरकार मानदेय के रूप में सचिव को 2500 रुपये प्रतिमाह दे रही है।

मिल रही सफलता

आइडब्ल्यूएमपी के तकनीकी विशेषक वीरेंद्र ¨सह ने बताया कि जल संरक्षण के लिए जागरूकता बहुत जरूरी है। किस गांव में कौन से स्थान सैटेलाइट से तलाशे गए हैं, उन्हें गांव के नक्शे में हरे रंगे से चिन्हित कर दिया गया है। इस नक्शे के आधार पर ही सचिव मेंड़बंदी का प्रस्ताव पास कराकर अपनी देखरेख में कार्य कराते हैं। उन्होंने बताया कि इन समितियों के प्रयास से सार्थक परिणाम सामने आ रहे हैं।

25 समितियां कर रही कार्य

आइडब्ल्यूएमपी के प्रथम चरण में 16 गांवों में 7 समितियां और 9 उप समितियां ग्रामीणों को जागरूक करने का कार्य कर रही हैं। वहीं दूसरे चरण के 27 गांवों में 9 समितियां और 18 उप समितियां बनाई जा रही हैं। ये समितियां गांव में पानी बचाने के अन्य उपाय भी ग्रामीणों को बताती हैं।


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