मुनिश्री का मंगल प्रवेश, आगवानी के लिए उमड़ा सैलाब
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद : अहिंसा संस्कार पदयात्रा के रचयिता अंतर्मना मुनिश्री प्रसन्न सागरजी महार
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद : अहिंसा संस्कार पदयात्रा के रचयिता अंतर्मना मुनिश्री प्रसन्न सागरजी महाराज व मुनिश्री पीयूष सागर महाराज का रविवार को मंगल प्रवेश हुआ। उनके मंगल प्रवेश पर आगवानी के लिए जैन समाज उमड़ पड़ा। जैन समाज के प्रमुखजनों ने मुनिजनों की आगवानी की। मुनिश्री ने इस अवसर पर अपने प्रवचन में जन्म एवं कर्म का भेद बताया।
जैनमुनि का महावीर जिनालय जैन में भव्य शोभायात्रा के साथ मंगल प्रवेश संपन्न हुआ। अंतर्मना प्रसन्न सागर महाराज ने कहा महावीर का जीवन सत्य की खोज एवं प्रयोग की कहानी है। महावीर के पास वाणी का विलास नहीं, जीवन का निचोड़ था। उनका कलम पर नहीं, कदम पर विश्वास था। वह जन्म की अपेक्षा कर्म पर ज्यादा जोर देते थे, उनका मानना था व्यक्ति जन्म से नहीं, कर्म से महान बनता है। उच्च कुल में जन्म लेना संयोग मात्र है, लेकिन कुलीन होकर मरना मानव जीवन की सर्वोच्च उपलब्धि है। तीर्थकर मनुष्य के भीतर ईश्वर को तलाशते हैं एवं तरासते हैं। मिलावट पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा एक व्यक्ति अपने घर पर कीड़े मारने की दवा लेकर आया, लेकिन जब दूसरे दिन उसने दवा को देखा तो उसी दवा में कीड़े पड़े हुए थे। इस कहानी के माध्यम से उन्होने भ्रष्टाचार पर करारा कटाक्ष किया।
उन्होने कहा खाने-पीने की वस्तुओं से लेकर औषधियों तक में आज मिलावट हो रही है। विचारों एवं आदर्शो में भी मिलावट है। आदमी बोलता कुछ है तथा सोचता कुछ है। उन्होंने कहा, कहा जाता है खराब मुद्रा अच्छी मुद्रा को चलन से बाहर कर देती है। यही वजह है खराब नेतृत्व की वजह से अच्छा नेतृत्व आज बाहर है।
मुनिश्री की आगवानी के लिए उमड़े जनसैलाब में प्रमोद जैन राजा, वीरेंद्र जैन रैमजा, ललितेश जैन, विजय जैन, अरुण जैन, राहुल जैन, चंद्रप्रकाश जैन, अजय जैन, मनोज जैन, महावीर जैन, मुन्नाबाबू के साथ में प्राचार्य नरेंद्र प्रकाश जैन प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
सुबह छदामीलाल जैन मंदिर पर होंगे प्रवचन
सोमवार को सुबह साढ़े आठ बजे से मुनिश्री के मंगल प्रवचन सेठ छदामीलाल जैन मंदिर पर होंगे।