बजट की आस, हैंडपंप उदास
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: जनता की प्यास बुझाने को कागज पर योजना बनी। कागज खजाने तक भी पहुंचा दिया गया, मगर खजाने का मुंह नहीं खुला। प्यासी जनता हलकान है और हैंडपंप उदास। जिले की प्यास बुझाने के लिए खराब पड़े 2600 हैंडपंपों के लिए बजट का इंतजार किया जा रहा है।
जिले के कुल नौ ब्लॉक में से चार डार्क जोन हैं। जल निगम ने पिछले वर्ष कुल 450 हैंडपंपों के रीबोर का प्रस्ताव जिला प्रशासन के पास भेजा था। रीबोर प्रत्येक ब्लॉक क्षेत्र में 50-50 कराए जाने थे। प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई, मगर अभी तक धनराशि नहीं मिली। अप्रैल माह में लोकसभा चुनाव को देखते हुए जल निगम द्वारा बूथों पर लगे 153 खराब हैंडपंपों का एडवांस में रीबोर करा दिया था। शेष हैंडपंपों की स्थिति जस की तस है। ये हैंडपंप जनता का मुंह चिढ़ा रहे हैं।
अभी पूर्व के 450 हैंडपंपों के रीबोर की धनराशि जारी नहीं हुई है, जिला प्रशासन ने कुल 900 हैंडपंपों के रीबोर का प्रस्ताव शासन को भेजा है। इसके तहत प्रत्येक ब्लॉक क्षेत्र में 100-100 हैंडपंपों का रीबोर कराया जाना है। इसके अलावा 1250 हैंडपंप खराब पड़े हैं। अभी इस प्रस्ताव पर शासन की मुहर नहीं लग सकी है।
लोहिया गांवों में हैंडपंप अटके
प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी डॉ. राममनोहर लोहिया समग्र ग्राम विकास योजना भी धन के अभाव में लटकी हुई है। करीब 475 लोहिया गांवों में हैंडपंपों का कार्य भी धन न मिलने के कारण अटका हुआ है।
'450 हैंडपंपों के रीबोर का लक्ष्य तय हुआ था, लेकिन धन आवंटित न होने के कारण पूर्ण नहीं हो सका है। वहीं 900 हैंडपंपों के रीबोर के संबंध में उनके पास कोई लक्ष्य या बजट नहीं आया है।'
-श्रीप्रकाश अग्रवाल,
एक्सईएन, जल निगम।