अब फिर से खिलखिलाएगी रिंकी
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: रामनिवास की बेटी रिंकी ब्रेन ट्यूमर से हारती जा रही थी। इलाज था, लेकिन लाखों का इंतजाम ठेल लगाने वाले एवं चूड़ी का काम करने वाला रामनिवास कहां से करता। आखिर में रिंकी को ब्रेन ट्यूमर से निजात मिली ट्रॉमा सेंटर में। सेवार्थ संस्थान के ट्रॉमा सेंटर में भी यूं तो ब्रेन ट्यूमर के ऑपरेशन की फीस 80 हजार रुपये थी, लेकिन रामनिवास की गरीबी एवं रिंकी की बीमारी ने रियायतों के दरवाजे खोले तथा 40 हजार में ऑपरेशन हो गया।
रामनिवास की 15 वर्षीय बेटी रिंकी को ब्रेन ट्यूमर है। सिर में फोड़ा के इलाज में धौलपुर के मूल निवासी रामनिवास ने काफी खर्च किया। ठेल लगाने वाले रामनिवास एक वर्ष पूर्व ही रोजगार की तलाश में पूरे परिवार के साथ फीरोजाबाद आ गए। फीरोजाबाद में चूड़ी का काम कर रामनिवास ने परिवार का पालन शुरु किया। इधर आगरा में दिखाया तो ऑपरेशन का खर्च ढाई लाख बताया। रुपये नहीं थे लिहाजा इलाज नहीं कराया। रिंकी की तबियत खराब होती गई। दो ढाई वर्ष में ब्रेन ट्यूमर ने ब्रेन के बायें तरफ के हिस्से के पांचवे भाग को अपनी चपेट में ले लिया तथा कई जगह चिकित्सकों ने ऑपरेशन के बाद रिंकी की जान को भी खतरा बताया।
रामनिवास डेढ़ माह पहले रिंकी को लेकर ट्रोमा सेंटर पहुंचा तो इलाज का खर्च 70 से 80 हजार तक बताया, लेकिन इतना रुपया नहीं होने पर वह वापस लौट गया। बताया जाता है कुछ दिन पूर्व वह जैसे-तैसे 40 हजार रुपया एकत्रित कर फिर पहुंचा तथा चिकित्सक से ऑपरेशन करने की गुहार लगाई। डा.निमित्त गुप्ता ने रामनिवास की आर्थिक स्थिति को देख कर इतने रुपये जमा कर ऑपरेशन किया। अब रिंकी की हालत भी ठीक है तथा किसी अंग पर दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ा है। इस संबंध में डा. निमित्त गुप्ता का कहना है कि ब्रेन ट्यूमर के नई तकनीक से इलाज में खतरे कम हो जाते हैं। रिंकी की जान को खतरा था लिहाजा संस्थान के ट्रस्टियों के सहयोग से कम खर्च में ऑपरेशन कर दिया।