मनरेगा का सच:16 विभागों में डंप मनरेगा का 8 करोड़
फतेहपुर, सिटी रिपोर्टर: मनरेगा को संचालित करने वाले आला अफसरों की महिमा देखिए, एक तरफ ग्राम पंचायत में पड़ा मात्र कुछ लाख रुपया उनकी आंखों में अखरता रहा और उसे तत्काल दूसरी पंचायतों को बिना किसी जवाब तलब के ट्रांसफर कर दिया। दूसरी तरफ मनरेगा का सात करोड़ रुपया जो कि 16 विभागों के पास पिछले नौ माह से दबा पड़ा रहा जिसकी कोई जांच पड़ताल करने की जरूरत ही नहीं समझी गयी।
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में वित्तीय वर्ष 2011-12 के लिए कुल 22 करोड़ 6 लाख 92 हजार रुपया लेबर बजट के लिए स्वीकृत किया गया। इसमें विभागीय लक्ष्य 48 करोड़ 10 लाख का था। कुल प्राप्त प्रस्ताव करीब 63 करोड़ 79 लाख रुपये का हुआ। इसमें से 23 करोड़ 77 लाख 86 हजार के प्रस्ताव वापस कर दिये गये थे। वर्ष 2011 में नवंबर माह तक की अवमुक्त धनराशि कुल थी 6 करोड़ 18 लाख 51 हजार रुपया। दिसंबर में सोलह विभागों को कुल उपलब्ध धनराशि थी 11 करोड़ 48 लाख 95 हजार रुपया। इन विभागों ने इसमें से केवल चार करोड़ 15 लाख रुपया ही अभी तक खर्चा किया है। खर्च न करने वाले विभागों में लघु सिंचाई विभाग, वन विभाग, निचली गंगा नहर, सिंचाई खंड, नलकूप खंड, लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खंड, लोक निर्माण खंड द्वितीय, जलागम, ईईसी खागा, कृषि, आईडब्लूडीपी, उद्यान, मत्स्य, रेशम, जिला पंचायत, ग्रामीण अभियंत्रण सेवा सहित कुल सोलह विभाग हैं।
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