डंप मौरंग बन सकती अवैध खनन का सबूत
फतेहपुर, जागरण संवाददाता : अवैध मौरंग खनन की जांच सीबीआई से कराने के हाईकोर्ट के आदेश से मौरंग माफिय
फतेहपुर, जागरण संवाददाता : अवैध मौरंग खनन की जांच सीबीआई से कराने के हाईकोर्ट के आदेश से मौरंग माफियाओं में खलबली मच गई है। सबूत मिटाने के लिए माफिया मौरंग के लगे बड़े ढेरों को साफ करने में जुट गए हैं। हाईकोर्ट की रोक के दौरान फतेहपुर सहित बुंदेलखंड के जनपदों में यमुना, केन व बेतवा में पोकलैंड व लिफ्टर मशीनों से जमकर खनन कराया गया। तीन माह में अवैध ढंग से निकाली गई मौरंग में न तो रवन्ना जारी किए गए और न ही घनमीटर का मानक देखा गया। सिंडीकेट के साम्राज्य में मनमाने पूर्ण ढंग से हुए कार्य पर अब कैसे पर्दा डाला जाए सब इसी जुगत में लगे हैं। सभी जनपदों में मौरंग के डंप कहीं जांच एजेंसी के लिए अवैध खनन का सबूत न बन जाए इसके लिए माफिया ही नहीं अफसर भी कागज दुरुस्त करने में लग गए हैं। मानक को धता बताकर हो रहे अवैध खनन की कई याचिकाओं पर हाईकोर्ट ने 4 मार्च 2016 को फतेहपुर सहित बुंदेलखंड के बांदा, हमीरपुर, उरई, चित्रकूट में खनन पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद भी जिलों में सिंडीकेट के सुरक्षा कवच में माफिया खनन करवाते रहे। भूखंडों के आंवटन का मानक भी टूट गया फिर तो ¨सडीकेट के इशारे पर माफियाओं को खनन की अनुमति मिल गई। रवन्ना व घनमीटर का हिसाब खत्म हो जाने से विगत वर्षों की तुलना से कहीं तीन गुना मौरंग नदियों से निकाल ली गई। एक अनुमान के मुताबिक फतेहपुर से एक हजार, बांदा से डेढ़ हजार, हमीरपुर से आठ सौ व उरई से आठ सौ ट्रक व बड़ी संख्या में ट्रैक्टर व लोडर की प्रतिदिन निकासी होती रही। वाहनों में मानक से दूना लोड में मौरंग जाती रही। शासन-सत्ता तक पहुंच रखने वाले माफिया ऐसा जाल बिछाए रहे कि खनन विभाग व प्रशासन आंख मूंद कर सब कुछ देखता रहा। लाल सोना के व्यवसाय से करोड़ों कमाने की नियति से माफियाओं ने लाखों घनमीटर मौरंग डंप कर ली। कुछ तो लाइसेंस पर डंप किए तो ज्यादातर ऐसे है तो बिना लाइसेंस के मौरंग डंप किए हैं। फतेहुपर में सौ से अधिक स्थानों पर तीन लाख घनमीटर से अधिक मौरंग डंप है। बुंदेलखंड को मिला लिया जाए तो डंप की मात्रा कई लाख घनमीटर पहुंच जाएगी। हाईकोर्ट से सीबीआई जांच के आदेश होने के साथ ही माफिया सबूत मिटाने में जुट गए हैं। भरोसेमंद सूत्रों ने बताया कि ज्यादातर लोग डंप को साफ करने में लग गए हैं। कुछ लोग तो नदी किनारे के डंप को गुप्त स्थान में सुरक्षित करने के लिए मौरंग की ढुलाई शुरू करा दी है। माफियाओं को यह है कि नदियां उफनाने से खनन स्थल से अवैध खनन की पोल नहीं खुल पाएगी। आखिर डंप मौरंग अवैध खनन का सबूत न बन जाए इसलिए डंप पर ही निगाहें लगाए हैं।
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'मेरे कार्यकाल के दौरान तो मौरंग का अवैध खनन नहीं हुआ है। डंप मौरंग के बारे में खनन विभाग ने रिपोर्ट दी है कि लाइसेंस जारी किए गए हैं। हाईकोर्ट की रोक के पहले जिन लोगों ने मौरंग डंप की है, फाइल में उसके रिकार्ड मिल जाएंगे। जांच सीबीआई को करनी है, इसलिए प्रशासन इस पर कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा।'
- डॉ. वेदपति मिश्र, जिलाधिकारी फतेहपुर
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डंप का विवरण
जारी लाइसेंस - डंप घनमीटर
- 30 - 1.50 लाख लगभग (विभागीय)
- 100 - 3.00 लाख लगभग ( अनुमानित )