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वादे से 'मुकरे' एक्सईएन, 'तिलमिलाए' मरीज

फतेहपुर, जागरण संवाददाता : राधानगर पावर हाउस से पुरुष अस्पताल को मिलने वाली चौबीस घंटे की बिजली आपूर

By Edited By: Published: Wed, 29 Jul 2015 01:07 AM (IST)Updated: Wed, 29 Jul 2015 01:07 AM (IST)
वादे से 'मुकरे' एक्सईएन, 'तिलमिलाए' मरीज

फतेहपुर, जागरण संवाददाता : राधानगर पावर हाउस से पुरुष अस्पताल को मिलने वाली चौबीस घंटे की बिजली आपूर्ति विद्युत विभाग के अफसरों की वजह से खटाई में पड़ गई है। दो दिन के भीतर विद्युत लाइन बहाल कराने का वादा करने वाले एक्सईएन का रटारटाया जवाब था कि दो दिन बाद काम शुरू कराया जाएगा, क्योंकि अभी कर्मचारी नहीं है। लेकिन पांच दिन बाद भी समस्या जस की तस बनी है और उसका खामियाजा वार्डों में भर्ती मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। रात को बिजली गुल हो जाने पर वह वार्ड से निकलकर गैलरी में रात काट रहे हैं।

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बताते चलें कि पुरुष अस्पताल में चौबीस घंटे की बिजली आपूर्ति जनवरी 2015 से बाधित चल रही है, जिससे विद्युत विभाग के अफसरों ने राधानगर पावर हाउस से लाइन काटकर अस्पताल की लाइन मुराइनटोला उपकेंद्र से जोड़ दी थी लेकिन तबसे ट्रि¨पग व कटौती से मरीज बेहाल हैं क्योंकि पुरुष अस्पताल को चौबीस घंटे की अनवरत आपूर्ति मिलती थी। सोमवार की रात बिजली गुल हो जाने पर मरीज व उनके तीमारदार गैलरी में आकर दो-तीन घंटे का समय काटा। मरीजों के तीमारदार नजमी कमर व राहुल श्रीवास्तव का कहना था कि सबसे बड़ी समस्या रात को होती है जब लाइट चली जाती है तो मोमबत्ती की रोशनी में रात काटनी पड़ती है क्योंकि स्वास्थ्य महकमा लगातार जेनरेटर नहीं चलाता है।

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मंगलवार को सुबह 9 बजे स्वास्थ्य महकमा ने जेनरेटर चालू करवा दिया क्योंकि उपकेंद्र मुराइनटोला में ट्रि¨पग के चलते बिजली नहीं आ रही थी। उसके बाद मरीजों का एक्सरे हुआ। फ्रीजर में रखा ब्लड बैंक न खराब हो उसके लिए जेनरेटर चलाया जा रहा है। हालांकि सीएमएस डा. एके मिश्र का कहना था कि यदि छह घंटे तक बिना लाइट के फ्रीजर में ब्लड रखा रहे तो वह खराब नहीं होता लेकिन छह घंटे बाद यदि बिजली न मिली तो खून खराब होने की आशंका बढ़ जाती है, इसलिए ब्लड बैंक के लिए भी जेनरेटर चलाया जाता है। कहा कि विद्युत विभाग के अफसर पिछले छह माह से सिर्फ आश्वासन का वादा ही कर रहे हैं जिससे स्थिति गंभीर बनी हुई है।

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बजट अवमुक्त नहीं : सीएमएस

फतेहपुर : शासन से डीजल के तेल का मिलने वाला प्रतिमाह का बजट अप्रैल 2015 से अवमुक्त नहीं हुआ है, जिससे और भी स्थिति गंभीर बनी हुई है। सीएमएस डा. एके मिश्र का कहना था कि विभागीय क्रेडिट पर पेट्रोल टंकी से डीजल मंगवाया जा रहा है और विद्युत विभाग की लापरवाही के चलते प्रत्येक माह में डेढ़ लाख के करीब की चपत लग रही है।


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