साहित्य पर मंथन, बही काव्य रसधार
फतेहपुर, जागरण संवाददाता: साहित्य समाज का दर्पण है। साहित्य सउद्देश्य होना चाहिए। सरस्वती विद्या मंद
फतेहपुर, जागरण संवाददाता: साहित्य समाज का दर्पण है। साहित्य सउद्देश्य होना चाहिए। सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कालेज के हॉल में अखिल भारतीय साहित्य परिषद कानपुर प्रांत के दो दिवसीय अधिवेशन के पहले दिन शनिवार को उद्घाटन सत्र में यह बात राष्ट्रीय महामंत्री व राष्ट्रधर्म के संपादक पवनपुत्र बादल ने कहीं। उन्होंने जनपद में नव साहित्यकारों को जोड़ने पर बल दिया।
अधिवेशन के द्वितीय सत्र में काव्य संध्या का आयोजन किया गया। प्रो. ओमपाल निडर ने पढ़ा कि 'मां का है आदेश हर जवान के लिए। जीना है तो जिओ हिंदुस्तान के लिए।' वहीं राष्ट्रीय महामंत्री रवींद्र शुक्ल ने देश की गौरवगाथा का गान करते हुए कहा कि 'अगर मोहम्मद गोरी को हम क्षमा दान न देते, तो पहली बार पकड़कर उसका शीश कलम कर दते।' तारकेश्वर वाजपेई 'अउतै कतकी हुनके लागी, हमहूं मेला द्याखैं जइबे।' साहित्य परिषद के जनपदीय अध्यक्ष शिवशरण सिंह चौहान अंशुमाली ने पढ़ा कि 'बलि वेदी पर शीश चढ़ाने क्या तुम मेरे साथ चलोगे।' मधुसूदन दीक्षित ने 'जब सत्ता की सुंदरी बन जाती है लक्ष्य। निर्वासित अलकापुरी से हो जाता यक्ष।' पढ़कर राजनीतिक दलों पर कटाक्ष किया। इसके अलावा रामऔतार गुप्त, मंजू त्रिपाठी, सुशील कुमार बैसवारी, महेंद्रनाथ वाजपेई, सत्यानंद शुक्ल, आनंद स्वरूप अनुरागी, कृष्ण कुमार श्रीवास्तव, प्रेमनंदन, रामगोपाल मिश्र, चंद्रशेखर शुक्ल, श्यामजी गुप्त, डा. कृष्णपाल सिंह कछवाह, अवध बिहारी सौमित्र, डा. रामलखन परिहार प्रांजल ने भी काव्यपाठ किया। प्रधानाचार्य नरेंद्र मिश्र, ज्ञानेंद्र सिंह, अनंत कुमार दीक्षित, ओमप्रकाश शुक्ल आदि रहे।