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मंदी का शिकार बिंदकी की धान मंडी!

बिंदकी, संवाद सहयोगी : कई सालों से उछाल में चल रही बिंदकी की धान मंडी इस वर्ष मंदी की मार का शिकार

By Edited By: Published: Wed, 26 Nov 2014 01:05 AM (IST)Updated: Wed, 26 Nov 2014 01:05 AM (IST)
मंदी का शिकार बिंदकी की धान मंडी!

बिंदकी, संवाद सहयोगी : कई सालों से उछाल में चल रही बिंदकी की धान मंडी इस वर्ष मंदी की मार का शिकार हो चुकी है। मंडी में आने वाले बाहरी व्यापारियों की संख्या भी कम है। इस कारण स्थानीय व्यापारियों व किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। मंडी से उपलब्ध आंकड़े मंदी की स्थिति को स्पष्ट कर रहे हैं।

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वर्ष 2008 व 2009 से बिंदकी मंडी में धान के सीजन में दूसरे प्रांतों के व्यापारियों का आना शुरू हुआ। चार साल तक मंडी लगातार उछाल में रही। प्रदेश सूखे की चपेट में आया तो बिंदकी मंडी पर भी इसका असर पड़ना लाजमी था। जिन किसानों ने जैसे-तैसे धान तैयार किया तो मंडी के इस दौर ने उसे माथा पकड़ने पर मजबूर कर दिया। बिंदकी मंडी में जनपद फतेहपुर की गांव स्तर पर लगने वाली सभी छोटी-छोटी मंडियों का धान बिकने के लिए आता है। इसके अलावा पड़ोसी जिलों की मंडी कौशाम्बी, रायबरेली, घाटमपुर, सजेती से भी धान की खेप यहां आती है। मंडी में एक माह की धान खरीद के जो आंकड़े उपलब्ध हैं उसमें पिछले साल के सापेक्ष सीधे दस हजार क्विंटल धान खरीद की गिरावट दर्ज की गई है। यह आंकड़ा तो सिर्फ एक माह का है। धान की आवक इतनी कम है कि आगे अभी और गिरावट होनी तय है। बिंदकी मंडी आसपास की मंडियों में सबसे मंहगी धान मंडी थी। इस साल मंडी में धान के भाव में भी भारी गिरावट दर्ज की गई है। इसकी वजह एक्सपोर्ट की धीमी रफ्तार को माना जा रहा है।

मंडी में मंदी की वजह

-मोटे धान की रोपाई कम होना

-रोपाई कम होने से उत्पादन में भारी गिरावट

-पतले धान का विदेशों में आयात धीमा होना

-डिमांड कम होने से भाव में भारी गिरावट

तुलनात्मक औसत भाव (प्रति क्विंटल)

धान पिछला सत्र चालू सत्र

सुगंधा 3200 1650

सरबती 2300 1460 से 1500

1121 3300 2400

1501 ---- 2100 से 2200

तुलनात्मक खरीद (खरीद क्विंटल में)

माह पिछला सत्र नया सत्र

अक्टूबर 76,5,88 66,8,20

नवम्बर 2,74,285 1,68,914

-नए सत्र में 24 नवम्बर तक की खरीद शामिल है-

मोटे धान का उत्पादन तेजी से घटा

मंडी से हरियाणा, दिल्ली, पंजाब से आए व्यापारी पतले धान की खरीद करते चले आ रहे हैं। पतले धान की मांग अधिक होने के कारण किसानों को अच्छा भाव भी मिला है। इस कारण किसानों ने मोटे धान का उत्पादन कम कर दिया। मोटा धान सरकारी क्रय एजेंसियां खरीदती हैं। मोटे धान को क्रय एजेंसी तमाम कटौती के बाद 1360 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से लेती हैं। जबकि खुले बाजार में यह इस धान को कोई बाहरी व्यापारी पूछता तक नहीं है। स्थानीय व्यापारी खरीदते है तो 1100 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से।

.मंडी में सुधार की उम्मीदे टूटीं

मंडी के भाव में आई गिरावट को देखते हुए प्रदेश सरकार ने मंडी सचिवों का एक प्रतिनिधि मंडल हरियाणा भेजा था। यह दल इस बात का अध्ययन करने गया था कि कैसे किसानों को धान पर अधिक से अधिक लाभ दिया जा सके। राइस मिलर्स भी काम करे। इस दल में बिंदकी मंडी सचिव कैलाश भार्गव भी शामिल थे। अब मंडी में उछाल की उम्मीदें टूट चुकी हैं।

यहां जा रहा धान

हरियाणा, दिल्ली, पंजाब जा रहा है धान पर धान खरीदने वाले व्यापारी इस साल कम आए हैं। जो आए भी है वह मांग कम होने के कारण खरीद भी कम कर रहे हैं।


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