पुराने सिक्के का भार जेब करेगा हल्की
फतेहपुर, जागरण संवाददाता : दीपावली पर्व पर 'श्री' (लक्ष्मी) पूजन को लेकर लोगों में गजब का जहां उत्सा
फतेहपुर, जागरण संवाददाता : दीपावली पर्व पर 'श्री' (लक्ष्मी) पूजन को लेकर लोगों में गजब का जहां उत्साह दिख रहा है। वहीं मांग ज्यादा होने से दाम दिनों दिन बढ़ते जा रहे हैं। पुराने (एंटीक) सिक्कों को खरीदारी के परंपरा के निर्वहन में लोगों की जेब हल्की होना तय माना जा रहा है।
धनतेरस पर सोने-चांदी का व्यापार दस करोड़ के आसपास जाकर टिकेगा। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है। इसी आशा और विश्वास में ग्राहक और दुकानदार पलक पावड़े बिछाए हुए हैं। सोने-चांदी के सिक्कों के अलावा नोट भी बाजार में उपलब्ध हैं। वजन के अनुसार दाम अदा करना होगा। रानी विक्टोरिया के सिक्का वर्ष के अनुसार बिक रहा है जिसकी कीमत 800 से 1000 रुपए है। वहीं ढलाई वाले लक्ष्मी-गणेश वाले सिक्कों की कीमत 400 रुपए है। बाजार में सोने और चांदी के उछाल को देखते हुए माना जा रहा है कि दीवाली में काम आने वाले सिक्कों और नोटों के दाम और बढ़ेंगे।
हल्के आभूषणों की चाहत बढ़ी
बात चाहे सोने की हो अथवा चांदी की हल्के जेवरों को आभूषणों की मांग बढ़ी है। इनमें सबसे ज्यादा हल्के आभूषण मुबई वाले साबित हो रहे हैं। चमकने (कुंदन) वाले आभूषणों की खरीददार ज्यादा उभर कर सामने आ रहे हैं।
ढलाई वाले सिक्कों से हो रहा धोखा
दीपोत्सव पर्व को मनाने के लिए ग्राहकों ने अंगड़ाई ले रखी है। खरीदारों की मंशा को भांप कर धोखा करने वाले नहीं चूक रहे हैं। डाई वाले सिक्के बाजार में उतार कर लोगों से धोखा किया जा रहा है। शातिराना अंदाज में दुकानदार भी शामिल हैं।
विश्वसनीय दुकान से खरीदें जेवर
आभूषणों को देकर खरीददार असली नकली का अंदाजा नहीं लगा सकता है। इसके मापने का का कोई बैरोमीटर दुकानदार के पास नहीं होता है। स्थानीय स्तर पर इसकी गुणवत्ता गलाने के बाद ही सामने आती है। ऐसे में धोखाधड़ी होने की संभावनाएं ज्यादा रहती हैं। सर्राफ आनंद स्वरूप रस्तोगी कहते हैं कि आभूषण की खरीददारी बेहद सजग रह कर करने की जरूरत होती है। ज्यादा अच्छा होगा कि विश्वसनीय दुकान अथवा परिचित की दुकान से खरीददारी की जाए। अथवा कंपनियों के उत्पाद जेवर खरीदने में भलाई होगी। जिस दुकान से सामान की खरीदारी की जाए उससे पर्चा अवश्य लिया जाए।
सोने चांदी में किस धातु की होती मिलावट
सोने से निर्मित आभूषणों में कांस्य और एक विशेष प्रकार का पाउडर मिलाया जाता है। जबकि चांदी में जस्ते का इस्तेमाल किया जाता है। तैयार जेवर को नंगी आंख से देखकर उसके मिलावटी होने का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। मिलावट खोर मौके को तलाशते रहते हैं और ग्राहक को मिलावटी आभूषण दुकानदार थमा देते हैं।