कॉलेज की राजनीति का शिकार तो नहीं हुए प्राचार्य!
फतेहपुर, जागरण संवाददाता : महात्मा गांधी स्नातकोत्तर महाविद्यालय की प्राचार्य की कुर्सी सदैव कांटों भरा ताज रहा। इस ताज को जिसने सिर में रखा वह तपिश का शिकार हो गया। किसी की जान चली गई तो किसी का मान सम्मान तार-तार हो गया। समयांतराल में दूसरे प्राचार्य की मौत ने जहां सबको हिलाकर रख दिया है। वहीं मौत के पीछे की साजिश पर सोचने को विवश कर दिया है।
कॉलेज संस्थापकों ने राष्ट्रपिता का नाम संस्था के आगे इसलिए लगाया कि उनके आदर्शो पर शिक्षा संस्था को चलाया जाएगा। अस्सी के दशक से कॉलेज में आदर्श नाम की कोई चीज नहीं दिखी। कभी प्रबंधतंत्र का विवाद रहा तो कभी छात्र राजनीति हावी रही। कुल मिलाकर कॉलेज के मुखिया की कुर्सी संभालने वाले की शामत रही। छात्रों ने आगजनी जैसी घटनाओं को अंजाम देकर दबाव बनाने की कोशिश की तो प्रबंधतंत्र के खेमों में बंट जाने से सारा दबाव प्राचार्य के ऊपर रहा। सबको साथ लेकर चलने में कोई प्राचार्य सफल नहीं हुआ। 1995 में कॉलेज के प्राचार्य रहे डॉ. धर्म ध्वज त्रिपाठी की मौत को भी लोग मानसिक दबाव के चलते बताते रहे। चार साल पहले कुर्सी संभालने वाले प्राचार्य डॉ. अवधेश कुमार सिंह को परेशानियों से जूझना पड़ा। प्रबंध तंत्र से पंगा लेना पड़ा तो छात्रों ने भरे कॉलेज कैंपस में उन्हें अपमानित किया। गुरु-शिष्य की परंपरा तार-तार हो गई। डॉ. सिंह के जाने के बाद स्व. डॉ. एसएस लाल की संदिग्ध मौत हो गई। कॉलेज के दो प्राचार्यो की मौत को लोग कॉलेज की तपिश से जोड़कर देख रहे हैं। डॉ. लाल का परिवार सदमे में है। परिवार के लोग कार्यवाही का निर्णय अभी नहीं ले पाए हैं। लेकिन उनके बड़े भाई गुरु शरण लाल भाई की मौत से गमगीन हैं तो छाती पीट कर कह रहे हैं कि उनका भाई आत्महत्या नहीं कर सकता है। वह कायर नहीं था। उसके साथ साजिश की गई है। भाई की स्वाभाविक मौत नहीं उसे मारा गया है।
उधर कॉलेज के पूर्व छात्रों के एक प्रतिनिधि मंडल ने प्राचार्य स्व. डॉ. लाल के परिजनों से मिला। दु:ख की घड़ी में हर कदम साथ देने का आश्वासन दिया। पूर्व छात्र नेताओं ने कहाकि मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की गई है। दो-दो प्राचार्यो की मौत को प्रशासन गंभीरता से ले। प्रतिनिधि मंडल में राम प्रताप सिंह गौतम, कुलदीप सिंह भदौरिया, स्वरूप राज सिंह जूली, दीपक कुमार डब्लू, घनश्याम पाल टक्करी, शैलेंद्र शरण सिंपल, अशोक सिंह चौहान, रेनू तोमर उर्फ अपर्णा सिंह गौतम ने परिवार को ढांढस बंधाया।
अजीज कर्मचारी से बांटा था दर्द
असमय मौत के आगोश में समाए कार्यवाहक प्राचार्य स्व. डॉ. लाल ने एक अजीज कर्मचारी से बातचीत में कहा था कि प्राचार्य की कुर्सी में बैठकर दलदल में फंस गया हूं। समस्या के बाद समस्याएं घेर रही हैं। अच्छा हो कि कोई प्राचार्य आ जाए, इससे छुट्टी मिले। कर्मचारी के संज्ञान में कुछ बातों को शेयर की। तो उसने कहा साहब धीरे धीरे सब ठीक हो जाएगा। बाकी किसी से उन्होंने कभी दर्द नहीं बांटा।
कॉलेज प्रशासन ने लिखा पत्र
कॉलेज प्रशासन ने कार्यवाहक प्राचार्य की मौत की सूचना विश्व विद्यालय प्रशासन और सचिव उच्च शिक्षा को भेजी है। विश्व विद्यालय के नियम के मुताबिक नए प्राचार्य का चयन भी सचिव उच्च शिक्षा को ही करना है। नए प्राचार्य के चयन को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। सचिव किसको चार्ज देते हैं। इसको लेकर कयास लगाए जाते रहे।