एमजी कालेज के प्राचार्य की संदिग्ध हालात में मौत
फतेहपुर, जागरण संवाददाता : मार्निग वॉक पर निकले महात्मा गांधी स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राचार्य की संदिग्ध हालात में तबियत बिगड़ गई। कानपुर हैलट अस्पताल ले जाते समय रास्ते में उनकी मौत हो गई। प्राचार्य के परिजनों ने जहर खिलाकर मार डालने का संदेह जताया है। हालांकि कोतवाली पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने का इंतजार कर रही है।
शहर के कृष्णबिहारी नगर मोहल्ला निवासी 55 वर्षीय डा. शिवशरण लाल श्रीवास्तव शांतीनगर स्थित महात्मा गांधी स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्राचार्य थे। प्रतिदिन की तरह वह प्रात : 6 बजे बाइक से स्टेडियम गए थे और बाइक खड़ी करके मार्निग वाक कर रहे थे। इसी दौरान संदिग्ध हालात में उनकी हालत बिगड़ गई। महाविद्यालय के चौकीदार ने उनके परिजनों को इसकी खबर दी और प्राचार्य को सरकारी एंबुलेंस के चालक जितेंद्र वर्मा के साथ सदर अस्पताल लेकर आया। चिकित्सक डा.एके सचान ने हालत गंभीर होने पर सस्पेक्टेड प्वाइजनिंग बताकर उन्हें कानपुर हैलट को रेफर कर दिया।
कानपुर नगर पहुंचते ही प्राचार्य ने दम तोड़ दिया। मौत की सूचना मिलते ही पत्नी गीता श्रीवास्तव, बड़ी बेटी श्रीमती ऋचा, छोटा बेटा उत्कर्ष रो-रोकर बेहाल रहे। प्राचार्य के गमजदा भाई गुरुसरन लाल श्रीवास्तव ने बताया कि भाई आत्महत्या कर ही नहीं सकते, उन्हें सुनियोजित षड़यंत्र के तहत मार डाला गया है। बताया कि भाई के पीठ में खरोंचने जैसे निशान झलक रहे थे और चेहरा व हाथ की हथेली नीली पड़ गई थी, अनुमान है कि उन्हें जहर खिलाकर मारा गया है लेकिन हृदय गति रुकने से मौत नहीं हुई है। पोस्टमार्टम हाउस में महाविद्यालय का पूरा स्टाफ मौजूद रहा लेकिन कुछ भी बताने के नाम अनभिज्ञता जाहिर करते रहे।
शहर कोतवाल केके यादव का कहना था कि मौत किन परिस्थितियों में हुई है अभी वह कुछ नहीं कह सकते, पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने का इंतजार किया जा रहा है। सबूत मिलने पर दोषी लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।
हृदय गति रुकने से मौत : सीओ
- क्षेत्राधिकारी नगर रवींद्र वर्मा की मानें तो प्रथम दृष्टया प्राचार्य डा. शिवशरण लाल की हृदय गति रुकने से मौत हुई है फिर भी सत्यता स्पष्ट होने के लिए शव का पोस्टमार्टम कराया जा रहा है।
सल्फास की डिब्बी कहां गई!
-: कृष्णबिहारी नगर व कबाड़ी मार्केट के मोहल्लेवासियों के बीच चर्चा रही कि प्राचार्य की जेब में सल्फास की डिब्बी मिली थी जिसमें दो गोलियां कम थी, अनुमान है कि जहर के सेवन से उनकी मौत हुई है लेकिन शहर कोतवाल का कहना था कि सल्फास की डिब्बी उन्हें नही मिली। हर बिंदु पर जांच पड़ताल की जा रही है।
दबाव बनाकर लेते थे काम!
- रिश्तेदारों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एमजी महाविद्यालय में प्राचार्य डा. शिवशरण लाल श्रीवास्तव से स्टाफ व कुछ प्रभावशाली लोग दबाव बनाकर काम करवाते थे। उनकी मौत में कहीं कहीं विद्यालय के स्टाफ व कुछ अन्य लोगों का हाथ भी हो सकता है। गमजदा परिजन खड़े होकर सुनते रहे। बताते कि इधर एक माह से वे अत्यधिक व्यथित थे। उनके मोबाइल पर प्रभावशाली लोगों के फोन गलत काम करवाने के लिए आते थे। बताते है कि कई ने तो उन्हें मनमाफिक काम न करने की धमकी भी दी थी। इससे और भी वे परेशान थे।
डा. बेटी के मुंबई से आने का इंतजार
- प्राचार्य के शव का पोस्टमार्टम बुधवार शाम सवा 5 बजे हुआ। बेटे उत्कर्ष श्रीवास्तव ने बताया कि वह इलाहाबाद में पढ़ता है, मझली बहन डाक्टर प्रिया मुंबई में प्रैक्टिस करती हैं और वहीं रहती हैं, खबर दे दी गई है। अर्द्धरात्रि तक आ जाएंगी, इसलिए शव का अंतिम संस्कार गुरुवार को किया जाएगा।
रिपोर्ट में फिर उलझी गुत्थी
- प्राचार्य के शव का पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सक एमएस पांडेय ने पोस्टमार्टम किया जिसमें मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो सका है जिससे बिसरा सुरक्षित कर लिया गया है। बिसरा को जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला लखनऊ भेजा जाएगा। बताते चलें कि सदर अस्पताल के इमरजेंसी कक्ष डाक्टर ने सस्पेक्टेड प्वाइजनिंग बताया था।