Move to Jagran APP

हर साल उजड़कर बसता है कुडरी सारंगपुर

- जमीन के कटान से गुजर बसर करने को मजदूरी की मजबूरी अमृतपुर, संवाद सहयोगी : गंगा की बाढ़ की विभीषि

By Edited By: Published: Sun, 28 Aug 2016 08:59 PM (IST)Updated: Sun, 28 Aug 2016 08:59 PM (IST)
हर साल उजड़कर बसता है कुडरी सारंगपुर

- जमीन के कटान से गुजर बसर करने को मजदूरी की मजबूरी

loksabha election banner

अमृतपुर, संवाद सहयोगी : गंगा की बाढ़ की विभीषिका से कुडरी सारंगपुर के ग्रामीण हर साल बर्बाद होते हैं। ग्रामीणों की ¨जदगी उजड़ने और हर बार तिनका-तिनका जोड़कर दोबारा आशियाना बनाने में ही बीत जाती है। गंगा की धार में खेती की जमीन के कट कर बह जाने से ग्रामीण बाढ़ के बाद मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करते हैं।

कुडरी सारंगपुर गांव गंगा की कटरी में बसा हुआ है। गांव में ज्यादातार ग्रामीण झोपड़ियों में गुजर बसर करते हैं। हर साल बाढ़ में झोपड़ियां जमीदोज हो जाती है। बाढ़ का पानी निकलने के बाद ग्रामीण नये सिरे से झोपड़ियां बनाने में जुट जाते हैं। इस बार भी गंगा की धार में कई ग्रामीणों की भूमि कट चुकी है। अधिकांश ग्रामीण गन्ने की खेती करते हैं। गंगा का जलस्तर बढ़ते ही गन्ने की फसल बाढ़ के पानी में डूब जाती है।

कुडरी सारंगपुर के खुशीराम के छह बच्चे हैं, वह भी डलिया बनाकर परिवार पाल रहे हैं। वह बताते हैं कि बाढ़ से हर वर्ष बर्बाद हो जाते हैं। हर साल रहने के लिए झोपड़ी बनानी पड़ती है। उन्होंने बताया कि दस बीघा भूमि बटाई पर लेकर गन्ना की फसल बोई थी, लेकिन बाढ़ का पानी भरा रहने से फसल खराब हो गई है। झोपड़ी भी इस बाढ़ में जमीदोज हो गयी।

रामनिवास बताते हैं कि गंगा की धार में दो बार घर कट चुकने के बाद तीसरी बार ग्रामीण अमृतपुर की कटरी में झोपड़ियां डालकर बस गए। वर्ष 2008 में 30 झोपड़ियां बह गई थीं। प्रशासन ने अमृतपुर कटरी में भूमि उपलब्ध कराकर ग्रामीणों को बसाया था। रामसरन बताते हैं कि उनके पास आठ बीघा भूमि थी। वह गंगा की धार में कट चुकी है। पांच बच्चे हैं, वह झोपड़ियों में परिवार के साथ रहते हैं और डलिया बनाकर बाजारों में बेंचकर परिवार चलाते हैं। एक दिन में दो से तीन डलिया बना लेते हैं। बाढ़ में एक झोपड़ी टूटकर गिर गई है। अब झोपड़ी बनाने की ¨चता सता रही है। सुल्तान ने बताया कि भूमि न होने से बटाई पर खेती कर गुजारा करते हैं। बाढ़ में फसल बर्बाद हो जाने पर मजदूरी करनी पड़ती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.