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'गंगा देश की भावनात्मक आस्था का आधार'

फर्रुखाबाद, जागरण संवाददाता : रामनगरिया के सांस्कृतिक पंडाल में हुई गोष्ठी को संबोधित करते हुए संयोज

By Edited By: Published: Wed, 10 Feb 2016 07:18 PM (IST)Updated: Wed, 10 Feb 2016 07:18 PM (IST)
'गंगा देश की भावनात्मक आस्था का आधार'

फर्रुखाबाद, जागरण संवाददाता : रामनगरिया के सांस्कृतिक पंडाल में हुई गोष्ठी को संबोधित करते हुए संयोजक बृजकिशोर मिश्र ने कहा कि गंगा देश की प्राकृतिक संपदा ही नहीं, बल्कि भावनात्मक आस्था का आधार भी है। गंगा तट पर होने वाली साधना से उपजे संघर्ष से ही देश की सांस्कृतिक अस्मिता बची है। उन्होंने कहा कि दो हजार किलोमीटर के सफर में गंगा में प्रतिदिन दो करोड़ 90 लाख लीटर औद्योगिक कचरा मिल रहा है।

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महंत बाबा बालकदास ने कहा कि गंगा का भौगोलिक, पौराणिक, एतिहासिक व सांस्कृतिक के साथ आध्यात्मिक महत्व भी है। उन्होंने कहा कि गंगा को शास्त्रों ने लोकमाता की संज्ञा दी है। मेले में आये सभी श्रद्धालुओं से गंगा में अपशिष्ट पदार्थ न फेंकने की अपील की। अपराध निरोधक कमेटी के जिलाध्यक्ष सुरेंद्र ¨सह सोमवंशी ने कहा कि पिछले 56 वर्षों में गंगा के पानी में 20 फीसदी की कमी आई है। इसके आगामी दशकों में और बढ़ने की आशंका है। नमामि गंगे के जिला संयोजक रवि मिश्रा, रविशंकर कटियार आदि ने भी विचार व्यक्त किए। गो¨वद त्रिवेदी, मयंक कटियार, दीपक वर्मा, बादाम ¨सह, धीरेंद्र ¨सह राठौर आदि मौजूद रहे।


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