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कानून से ज्यादा जागरूकता की जरूरत

फर्रुखाबाद, जागरण संवाददाता : गरीबी उन्मूलन, प्राथमिक शिक्षा का सार्वजनीकरण, लैंगिक समानता को बढ़ावा

By Edited By: Published: Wed, 25 Nov 2015 07:16 PM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2015 07:16 PM (IST)
कानून से ज्यादा जागरूकता की जरूरत

फर्रुखाबाद, जागरण संवाददाता : गरीबी उन्मूलन, प्राथमिक शिक्षा का सार्वजनीकरण, लैंगिक समानता को बढ़ावा, बच्चों के जीवन की सुरक्षा व महिला स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए बाल विवाह रोकना आवश्यक है। कम उम्र में विवाह जैसी सामाजिक बुराई को रोकने के लिए कानून से ज्यादा जागरूकता की जरूरत है। बालिका वधू का दंश मिलकर मिटाना होगा।

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एजूकेशनल मूवमेंट सोसाइटी के अध्यक्ष डा.अनवार अहमद खां का कहना है कि बाल विवाह की कुरीति दूर करने के लिए जनसमुदाय की मानसिकता को परिवर्तित करना होगा। निर्धन व पिछड़े परिवारों के समक्ष यह बात रखनी होगी कि बच्चों के लिए सबसे महत्वपूर्ण शिक्षा व उनका कैरियर है। इसके बाद ही परिवार बसाने की ओर ध्यान देना चाहिए। बेसलाइन सर्वे कराकर ऐसी बस्तियों की जानकारी एकत्र की जानी चाहिए जहां बाल विवाह के मामले अधिक हो रहे हैं। उन बस्तियों में ग्राम स्तरीय कोर ग्रुप बनाये जायें। जो लोगों को इस बुराई के प्रति सजग करें।

जिला ट्रे¨नग कमिश्नर प्रशिक्षण गाइड आदेश गंगवार का मानना है कि बाल विवाह से स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव, बाल मृत्यु, जनसंख्या वृद्धि, कमजोर संतान की उत्पत्ति व महिला शोषण की घटनाएं बढ़ती हैं। इसे रोकने के लिए सामाजिक संस्थाओं को एक मिशन के रूप में कार्यक्रम चलाकर जागरूक करना चाहिए। पहले लोगों को समझाया जाये। न समझने पर कानून का भय दिखाया जाये। कानूनी कार्रवाई का रास्ता अंतिम विकल्प में चुना जाये। महिला उत्थान मंच की संयोजक रेखा पांडेय का कहना है कि मध्य प्रदेश में बाल विवाह की बुराई रोकने के लिए 'लाडो अभियान' शुरू किया गया है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य लोगों को इसके दुष्परिणामों की जानकारी देना है। ग्रामीण क्षेत्र में नुक्कड़ नाटक, लोकगीत, नारों व स्लोगन आदि के द्वारा समाज में संदेश दिया जाये। ऐसा वातावरण बनाया जाये कि बालक और बालिकाएं स्वयं ही बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाने का साहस कर सकें। माध्यमिक स्तर की शिक्षा को अनिवार्य व नि:शुल्क बनाये जाने से भी इसमें सकारात्मक बदलाव आ सकता है।


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