तबेले से बदतर घर में रहते भट्ठा मजदूर
फर्रुखाबाद, जागरण संवाददाता : रविवार को खानपुर स्थित ईंट भट्ठे पर छत गिरने से आधा दर्जन मजदूर घायल ह
फर्रुखाबाद, जागरण संवाददाता : रविवार को खानपुर स्थित ईंट भट्ठे पर छत गिरने से आधा दर्जन मजदूर घायल हो गए थे। घटना के बाद भी प्रशासन चेतने को तैयार नहीं है। सरकार भट्ठा मजदूरों के बच्चों का टीकाकारण कराने के लिये 'आपरेशन इंद्रधनुष' के नाम पर करोड़ों का बजट फूंक रही है, लेकिन तबेले से बदतर आवासों में परिवार सहित रहकर बंधुआ मजदूरों की तरह काम करने वाले इन श्रमिकों के जीवन स्तर में सुधार की ओर किसी का ध्यान नहीं है।
अधिकांश भट्ठों पर यह पथेरा मजदूर बिहार प्रांत के विभिन्न जनपदों से ठेकेदार के माध्यम से 20-25 हजार एडवांस लेकर आते हैं। ठेकेदार अपना मोटा कमीशन एडवांस में से काटने के अलावा मजदूरों के पूरे सीजन काम करने की गारंटी भी लेता है। यहां रहकर मजदूर सीजन के आठ माह ईंटे पाथने का काम करते हैं। बरसात शुरू होने से पूर्व यह वापस अपने घर चले जाते हैं। भट्ठों पर मजदूरों और इनके परिवारों को दाल-चावल व चूड़ा खाने और जानवरों के तबेले से बदतर और खतरनाक आवासों में रहने को मजबूर होना पड़ता है। चिलचिलाती धूप और हाड़ कंपा देने वाली ठंड यह गरीब जमीन पर सोकर काटते हैं। कादरी गेट चौकी से कुछ दूरी पर खानपुर स्थित डीपी ईंट भट्ठे पर रविवार को छत ढहने से लगभग आधा दर्जन मजदूर घायल हो गये थे। इनमें से एक की टांग टूट गयी व शेष चुटहिल हैं। खैरियत यह हुई कि गर्मी से मजदूर नीचे नहीं छत के ऊपर सो रहे थे। घटना के बाद से मजदूर दहशत में हैं। अधिकांश भट्ठों पर यही स्थिति है। कच्ची दीवारों या सेम ईंट की चट्टों के ऊपर बिना सरिया की ईंटों की स्लैब डालकर 8 फुट लंबाई चौड़ाई के दरबेनुमा आवासों में इन मजदूरों को रखा जाता है। खानपुर नगला स्थित ओपी भट्ठों पर तो मजदूरों ने रहने के लिये भट्ठे पर मौजूद ईंटों को चुन कर उनके ऊपर पालीथिन डाल ली है या झोंपड़ियां बना ली हैं। श्रम प्रवर्तन अधिकारी हरिकरन यादव बताते हैं कि मजदूर भट्ठा मालिकों से समझौते के आधार पर काम करने आते हैं। समझौते के अनुसार मजदूरी न मिलने की शिकायत पर जिला प्रशासन हस्तक्षेप कर भुगतान कराता है। उन्होंने बताया कि मजदूरों के रहने की व्यवस्था के विषय में कोई शिकायत नहीं मिली है। मामले की जांच की जायेगी।