शहर में 95 प्रतिशत मकान असुरक्षित
फर्रुखाबाद, जागरण संवाददाता : विगत दो दिन से आ रहे भूकंप के झटकों ने शहर की घनी बस्तियों और ऊंची इमा
फर्रुखाबाद, जागरण संवाददाता : विगत दो दिन से आ रहे भूकंप के झटकों ने शहर की घनी बस्तियों और ऊंची इमारतों के भविष्य पर प्रश्न चिह्न खड़े कर दिये हैं। भूकंपरोधी डिजाइन न अपनाये जाने से शहर के 95 प्रतिशत भवन असुरक्षित हैं। जिला मुख्यालय पर बना विकास भवन और निर्माणाधीन कलेक्ट्रेट भूकंपरोधी डिजाइन पर बने हैं, लेकिन लगभग 50 वर्ष पूर्व बनी सरकारी कालोनियां खतरे से खाली नहीं हैं। लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता विपिन पचौरिया बताते हैं कि विगत एक दशक में सरकारी भवन भूकंपरोधी डिजाइन पर ही बने हैं। इसमें नींव के ऊपर प्लेंग्थ लेविल पर 'लेटरल-बीम' डाले जाते हैं। इसी बीम में फंसा कर भवन के वर्टिकल-बीम खड़े किये जाते हैं। छत के स्तर पर वर्टिकल-बीम में ही फंसकर लेटरल-बीम डालकर लेंटर डाला जाता है। इससे फर्श से लेकर छत तक बीम का पूरा जाल बन जाता है। भूकंप के झटके आने पर पूरी प्लेंग्थ एक यूनिट की तरह हिलती है। इससे क्षति की आशंका कम रहती है। उन्होंने बताया कि सरकारी कालोनियों का वार्षिक रखरखाव किया जाता है। इसलिये सामान्य स्थिति में खतरे की कोई बात नहीं है। नियत प्राधिकारी कार्यालय के अवर अभियंता एमके मिश्रा ने बताया कि नगर क्षेत्र में बनने वाले भवनों का नक्शा उनके कार्यालय से अनुमोदित कराया जाता है। लेकिन निर्माण की डिजाइन का कोई प्रतिबंध नहीं होता है। उन्होंने बताया कि भवन को भूकंपरोधी बनाने की अनिवार्यता नहीं है। 400 वर्ग मीटर से अधिक कारपेट एरिया या 10 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले भवनों के निर्माण का नक्शा दाखिल करने से पूर्व अग्निशमन विभाग की अनापत्ति अनिवार्य है। उन्होंने माना की भूकंप की स्थिति में शहर के लगभग 95 प्रतिशत मकान असुरक्षित हैं।