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शिलान्यास हो गए, नहीं बना इस्टीमेट

फर्रुखाबाद, जागरण संवाददाता : एक ओर सांसद निधि पांच से बढ़ा कर 25 करोड़ किए जाने पर विचार हो रहा है,

By Edited By: Published: Sat, 25 Apr 2015 01:23 AM (IST)Updated: Sat, 25 Apr 2015 01:23 AM (IST)
शिलान्यास हो गए, नहीं बना इस्टीमेट

फर्रुखाबाद, जागरण संवाददाता : एक ओर सांसद निधि पांच से बढ़ा कर 25 करोड़ किए जाने पर विचार हो रहा है, वहीं करीब एक साल होने को आया पर सांसद निधि से दिए गए कार्यो के प्रस्ताव अभी तक फाइलों में ही लटके हैं। प्रथम किस्त के तौर पर विगत वर्ष मिली ढाई करोड़ की धनराशि खर्च न हो पाने से दूसरी किस्त का पैसा अभी तक केंद्र से अवमुक्त नहीं हुआ है। विगत 3 अप्रैल को राज्यपाल जिन 21 कार्यो का शिलान्यास कर गए थे, उनमें से अधिकतर के तो अभी तक कार्यदायी संस्था समाज कल्याण निर्माण निगम ने इस्टीमेट तक तैयार नहीं किए हैं।

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राज्यपाल राम नाइक के विगत 3 अप्रैल को जिले के दौरे में भाजपा सांसद मुकेश राजपूत ने अपनी सांसद निधि से प्रस्तावित 21 कार्यों के शिलान्यास कराया था। इनमें से कोई भी कार्य अभी तक स्वीकृत नहीं है। उद्घाटन पत्थर आज भी कार्यदायी संस्था के कार्यालय में धूल फांक रहे हैं। समाज कल्याण निर्माण निगम ने लगभग दस कार्यों के इस्टीमेट तैयार कर भेजे थे। जिला ग्राम्य विकास अभिकरण ने इस्टीमेट का सत्यापन कराने को प्रस्ताव लोक निर्माण विभाग को संदर्भित कर दिये थे। आपत्तियों के निस्तारण के बाद अब प्रस्ताव दोबारा भेज दिए गए हैं। निर्माण निगम के प्रोजेक्ट अभियंता अमर ¨सह ने बताया कि शेष कार्यो के इस्टीमेट तैयार किए जा रहे हैं। एक सप्ताह में सभी प्रस्ताव भेज दिये जाएंगे।

डीआरडीए के परियोजना निदेशक डा.डीआर विश्वकर्मा ने बताया कि सासंद निधि में विगत वर्ष ढाई करोड़ की पहली किस्त प्राप्त हुई थी। धनराशि खर्च न हो पाने से दूसरी किस्त का प्रस्ताव नहीं भेजा जा सका है। उन्होंने बताया कि सांसद की ओर से दिये गये प्रस्तावों के इस्टीमेट शीघ्र उपलब्ध कराने को समाज कल्याण निगम को पत्र लिखा जा चुका है। सांसद मुकेश राजपूत ने बताया कि समाज कल्याण निर्माण निगम के अधिशासी अभियंता से उनकी वार्ता हो चुकी है। एक सप्ताह में सभी इस्टीमेट डीआरडीए भेज दिये जायेंगे। लगभग पांच करोड़ रुपये के प्रस्ताव दिये जा चुके हैं। विगत वर्ष की सांसद निधि का पैसा अक्टूबर में प्राप्त हुआ था। धनराशि देर से मिलने के कारण प्रस्ताव में देरी हुई।


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