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गुमनामी के भंवर से उबरेंगे गुमनामी बाबा

अयोध्या : गुमनामी बाबा वे किरदार हैं, जो तीन दशक से पहेली बने हुए हैं। इसमें कोई शक नही

By JagranEdited By: Published: Sat, 13 Jan 2018 10:40 PM (IST)Updated: Sat, 13 Jan 2018 10:40 PM (IST)
गुमनामी के भंवर से उबरेंगे गुमनामी बाबा
गुमनामी के भंवर से उबरेंगे गुमनामी बाबा

अयोध्या : गुमनामी बाबा वे किरदार हैं, जो तीन दशक से पहेली बने हुए हैं। इसमें कोई शक नहीं कि उनकी सच्चाई सामने आने की उम्मीद दूर की कौड़ी बनी हुई है, पर उनसे जुड़ी अनेक जानकारी सार्वजनिक होने को है। अंतर्राष्ट्रीय रामकथा संग्रहालय में बाबा के नाम की दो दीर्घा सजकर तैयार है। 60 गुणे 40 फीट की दो दीर्घा में 24 शोकेस शिफ्ट किए गए हैं, जिसमें बाबा की 425 वस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं।

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इन वस्तुओं में अंग्रेजी, ¨हदी, संस्कृत एवं बंगला भाषा की तीन सौ से अधिक पुस्तकें, विदेशी दूरबीन, टाइप राइटर, चश्मा, घड़ी, सिगार एवं सिगरेट पाइप, ग्रामोफोन रिकार्ड, रिकार्ड प्लेयर, टेप रिकार्डर, ऐश ट्रे, दस्ताना, करेंसी, सिक्के, पूजन सामग्री, माला, कमंडल, बर्तन आदि शामिल है। संग्रहालय में प्रदर्शित इन वस्तुओं सहित 2700 से अधिक वस्तुएं सिविल लाइंस स्थित सेवानिवृत्त सिटी मजिस्ट्रेट ठाकुर गुरुदत्त ¨सह की कोठी रामभवन से बरामद हुई थीं। गुमनामी बाबा अपने नाम के अनुरूप जनवरी 83 से ¨सतबर 1985 तक इसी कोठी में पूरी गोपनीयता के साथ रहे थे। एक वृद्ध सेविका को छोड़कर बाबा किसी के सामने नहीं आते थे और किसी को उनके कक्ष में भी जाने की इजाजत नहीं थी। 16 ¨सतबर 1985 को चिरनिद्रा में लीन होने के बाद लोगों को बाबा के कक्ष में जाने का अवसर मिला। कक्ष का परि²श्य देखकर लोग चमत्कृत रह गए। बाबा की प्रचुर सामग्री उनके असाधारण होने की कहानी बयां कर रही थी।

मीडिया के एक तबके ने बाबा के पास से बरामद सामग्री के ही आधार पर यह अनुमान व्यक्त करना शुरू किया कि बाबा के रूप में नेताजी सुभाषचंद्र बोस अपना भूमिगत जीवन व्यतीत कर रहे थे। इस अनुमान के पीछे बाबा की वस्तुओं में मिला नेताजी के स्टाइल का गोल फ्रेम का चश्मा, रोलेक्स घड़ी, नेताजी के परिवारीजनों की अनेक तस्वीर, विमान दुर्घटना में कथित मौत की जांच करने वाले शाहनेवाज एवं खोसला आयोग के रिपोर्ट की प्रति, आजाद ¨हद फौज के कमांडर की वर्दी आदि सहित प्रचुर साहित्यिक साक्ष्य थे। उनके निधन के कुछ ही माह बाद रामभवन पहुंची नेताजी की भतीजी ललिता बोस भी बाबा की वस्तुएं देखकर दंग रह गईं और हाईकोर्ट में उन्हीं की याचिका पर बाबा के पास से बरामद वस्तुएं शासकीय कोषागार में संरक्षित करने का आदेश दिया गया।

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फलीभूत हुई शक्ति ¨सह की याचिका

-बाबा के पास से बरामद वस्तुओं से रामभवन के उत्तराधिकारी एवं गुरुदत्त ¨सह के पौत्र शक्ति ¨सह भी चमत्कृत हुए बिना नहीं रह सके। बाबा के नेताजी होने की संभावना से प्रेरित शक्ति ¨सह सुभाषचंद्र बोस राष्ट्रीय विचार केंद्र के अध्यक्ष की भूमिका में दशकों से बाबा की सच्चाई सामने लाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्हीं की याचिका पर हाईकोर्ट ने जनवरी 2013 में प्रदेश सरकार को बाबा की वस्तुओं संग्रहालय में संरक्षित-प्रदर्शित करने और बाबा की सच्चाई सामने लाने के लिए जांच आयोग के गठन का आदेश दिया। इसी क्रम में बाबा के नाम की दीर्घा 24 जनवरी को लोकार्पण के लिए तैयार हो सकी है।


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