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रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर 12 लाख की ठगी

फैजाबाद : बेरोजगारों के सपने पर एकबार ठगों ने डाका डाला है। रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर दो युवक

By Edited By: Published: Mon, 20 Feb 2017 11:57 PM (IST)Updated: Mon, 20 Feb 2017 11:57 PM (IST)
रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर 12 लाख की ठगी
रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर 12 लाख की ठगी

फैजाबाद : बेरोजगारों के सपने पर एकबार ठगों ने डाका डाला है। रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर दो युवकों से 12 लाख रुपये की ठगी का मामला सामने आया है। पीड़ित सुधाकर ¨सह बस्ती जिले के परशुरामपुर थाना अतंर्गत रिधौरा के मूल निवासी हैं, जो अयोध्या के रामघाट इलाके में रहते हैं। युवकों को ठगने में गाजीपुर जिले के जंगीपुर निवासी राजेंद्र राम, बब्लू ¨सह, अभिषेक ¨सह का नाम शामिल है। गाजीपुर के इन ठगों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत करने के लिए न्यायालय की ओर से अयोध्या पुलिस को आदेश जारी किया गया है।

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पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता मार्तंड प्रताप ¨सह ने बताया कि सुधाकर ¨सह और बल्लू ¨सह आपस में रिश्तेदार हैं। रोजगार की तलाश में जुटे सुधाकर को रेलवे ग्रुप सी में नौकरी दिलाने का झांसा बब्लू ¨सह ने दिया। घटना वर्ष 2015 की है। नौकरी दिलाने के नाम पर सुधाकर से छह लाख रुपये की मांग की गई। विपक्षी ने सुधाकर को विश्वास में लेकर कुछ लोगों के माध्यम से नौकरी दिलाने की बात कही थी। सुधाकर को बब्लू की बात भरोसा हो गया। नौकरी का मामला होने की वजह से सुधाकर और उसके एक अन्य साथी गोंडा जिले के कुंजलपुर निवासी प्रवीन ¨सह ने मिलकर बब्लू और उसके साथियों को 12 लाख रुपये का भुगतान कर दिया। विपक्षीगणों ने दोनों युवकों को फार्म भी उपलब्ध कराए। कुछ दिनों बाद एक वेबसाइट पर उनका रिजल्ट भी दिखाया। नियुक्ति व रेल कर्मी का पहचान पत्र भी दिया गया। दोनों डीआरएम कार्यालय आसनसोल में ज्वाइन करने के लिए विपक्षियों ने उन्हें कोलकाता बुलाया। सुधाकर और प्रवीन आसनसोल पहुंचे और विपक्षियों का फोन नंबर मिलाया तो उनका मोबाइल स्विच ऑफ मिला। संदेह होने पर दोनों युवक सीधे डीआरएम कार्यालय पहुंच गए। कार्यालय के कर्मचारियों से पूछताछ की तो मालूम हुआ कि उनके दस्तावेज फर्जी हैं। यह सुनकर सुधाकर और प्रवीन के होश उड़ गए। वापस लौटकर दोनों ने रुपये वापस मांगे तो विपक्षियों ने उन्हें भगा दिया और जान से मारने की धमकी दी। इस बावत पीड़ितों ने अयोध्या पुलिस से शिकायत की, लेकिन सुनवाई नहीं हुई, जिसके बाद पीड़ितों ने न्यायालय का सहारा लिया। अधिवक्ता ने बताया कि इस मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट राजेश पराशर ने अयोध्या पुलिस को मुकदमा पंजीकृत कर विवेचना करने का आदेश दिया है।


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