नीलगायों के आतंक से अन्नदाता त्रस्त
बाबाबाजार (फैजाबाद) : जिला मुख्यालय से 60 किमी दूर अति पिछड़े मवई ब्लॉक के अन्नदाता दो दशक से नीलगायो
बाबाबाजार (फैजाबाद) : जिला मुख्यालय से 60 किमी दूर अति पिछड़े मवई ब्लॉक के अन्नदाता दो दशक से नीलगायों से त्रस्त हैं। किसानों ने इस चुनाव में नीलगायों का मुद्दा जोर शोर से उठा कर जनप्रतिनिधियों को घेरने का मन बनाया है। मवई ब्लॉक में 34 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैला सुनवा का जंगल किसानों के लिए मुसीबत बना है। नीलगाय दिन में इसी जंगल में छिपे रहते हैं। रात में फसलों पर कहर बनकर टूट पड़ते हैं। किसानों ने नीलगायों के आतंक से दलहन व तिलहन की खेती से तौबा कर लिया है। दो दशक पूर्व अरहर, मटर, चना, उड़द व सरसों की खेती के लिए अग्रणी रहा मवई का किसान दलहन व तिलहन का बड़े पैमाने पर आसपास के जिलों में निर्यात करता था। वही किसान आज दलहन व तिलहन खरीद कर खाने को मजबूर है। तालगांव के किसान संजय उपाध्याय बताते हैं कि जो किसान दलहन, तिलहन व शाक-भाजी की खेती करते भी हैं, उन्हें खेत में ही मचान बना कर रात भर हांका लगाना पड़ता है। पारा पहाड़पुर के सुशील शर्मा का कहना है कि चुनाव दर चुनाव यह मुद्दा उठता रहा। इस दौरान कई सरकारें आईं, जनप्रतिनिधि बदले पर इस मुद्दे पर सभी संवेदनहीन बने रहे। प्रधान राम बहादुर यादव कहते हैं कि इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए वह जनप्रतिनिधि से लेकर डीएम तक कई बार शिकायत कर चुके हैं पर कोई हल नहीं निकला। वेद तिवारी व रवि पांडेय का कहना है कि इस बार चुनाव में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया जाएगा। फारेस्ट रेंजर आरएस कुशवाहा ने बताया कि नीलगाय को मारने के लिए जिलाधिकारी से अनुमति लेनी पड़ती है बगैर अनुमति नीलगाय मारने पर कार्रवाई का प्रावधान है।