मौनी अमावस्या पर प्रवाहित हुई आस्था
अयोध्या: मौनी अमावस्या के नाम से महिमांवित पौष मास की अमावस्या पर आस्था प्रवाहित हुई। पौ फटते ही श्र
अयोध्या: मौनी अमावस्या के नाम से महिमांवित पौष मास की अमावस्या पर आस्था प्रवाहित हुई। पौ फटते ही श्रद्धालुओं ने पुण्यसलिला सरयू की राह ली और देखते-देखते सरयू में डुबकी लगाने वालों का सैलाब विसर्जित होने लगा। संत तुलसीदास घाट, लक्ष्मणघाट, गोलाघाट एवं झुनकीघाट सुबह के कुछ घंटों तक स्नानार्थियों से पटे रहे। स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने पारंपरिक गोदान और पंडों को दान-दक्षिणा देने के साथ भिक्षुओं को भी दान दिया। यदि कुछ श्रद्धालु स्नान के बाद घरों की ओर वापस लौटे, तो अधिकांश श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक के लिए भोले बाबा की पीठ नागेश्वरनाथ की ओर रुख किया। इस बीच यातायात नियंत्रित करने में पुलिस के पसीने छूटते रहे, तो जगह-जगह लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ा। सरयू से जुडते रास्ते पर ऐसे भी मौके आए जब भारी भीड़ के बीच फंसकर लोग असहाय नजर आए। भीड़ का दबाव सरयू के घाटों से लेकर हनुमानगढ़ी चौराहा तक नजर आया। हालांकि प्रथम बेला में नगरी में चारपहिया वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित किया गया था। अयोध्या के अलावा फैजाबाद स्थित गुप्तारघाट स्थित सरयू तट पर भी स्नानार्थी उमड़े।
महिलाओं ने की वट वृक्ष की पूजा
मौनी अमावस्या के साथ सोमवार का संयोग श्रद्धालुओं के लिए सोने पर सुहागा जैसा रहा। श्रद्धालुओं ने विधि-विधान से पूजन किया, तो महिलाओं ने पारंपरिक रूप से वट वृक्ष का पूजन किया और 108 बार वृक्ष की परिक्रमा कर पति की समृद्धि-सलामती की कामना की।