अधूरे भवन में संचालित हो रहा रामकथा संग्रहालय
अयोध्या सरयू के करीब स्थित जिस अंतरराष्ट्रीय रामकथा संग्रहालय के भवन का जमकर ¨ढढोरा पीटा गया, वह अ
अयोध्या
सरयू के करीब स्थित जिस अंतरराष्ट्रीय रामकथा संग्रहालय के भवन का जमकर ¨ढढोरा पीटा गया, वह अधूरा है और संग्रहालय अधूरे भवन में ही संचालित हो रहा है। ऐसे में संरक्षित धरोहरों के क्षतिग्रस्त होने का खतरा पैदा हो गया है। 12 करोड़ से अधिक की लागत से तैयार संग्रहालय की पहचान से जुड़ा प्रस्तावित गुंबद ही नदारद है। भारी-भरकम और दूर से ही नजर आ जाने के मकसद से प्रस्तावित गुंबद की जगह को कार्यदायी संस्था जलनिगम ने फाइबर की चादर से ढक कर छोड़ दिया है। ऐसे में न केवल संग्रहालय की भव्यता फीकी हो गई है बल्कि फाइबर के जोड़ से रिसने वाला पानी जरा सी बौछार-बरसात में संग्रहालय के भूमि तल तक जमा होता है। गुंबद की जगह पर लगी फाइबर की चादर की मजबूती को लेकर भी समस्या है। गत दिनों यह चादर टूट जाने से संग्रहालय का पृष्ठ भाग एकाएक छत विहीन हो गया और बड़ी मात्रा में बरसात का पानी भू तल पर जमा हो उठा। हालांकि फाइबर की नई चादर से राहत मिली है पर यह कितने दिनों तक रहेगी, कहना कठिन है। गुंबद के साथ गुंबद के नीचे प्रस्तावित पुस्तकालय का वजूद भी नदारद है। वास्तु कला के हिसाब से मुख्य गुंबद के दोनों ओर पांच-पांच छोटे गुंबद भी निर्मित नहीं किए गए। सुरक्षा की दृष्टि से इमारत के चारो ओर प्रस्तावित सर्किल रोड भी नहीं बनाया गया।
एक अदद सफाईकर्मी तक का टोटा
संग्रहालय के निर्माण के साथ उसके संचालन में भी खिलवाड़ हो रहा है। रामकथा संग्रहालय उधार के भवन से अपने नव निर्मित भवन में छह माह पूर्व ही आ गया पर जलापूर्ति के लिए एक हैंडपंप तक का टोटा है। कर्मचारियों का अकाल इस कदर है कि दो एकड़ में विस्तृत और नौ दीर्घा, एक विशाल सभागार एवं अनेक कक्षों वाले संग्रहालय के लिए एक भी सफाईकर्मी नहीं है। नियमानुसार नौ दीर्घा में इतने ही दीर्घा सहायक एवं परिचारक होने चाहिए पर पूरे संग्रहालय में इस पद पर मात्र एक-एक कर्मचारी ही हैं। संग्रहालय के उप निदेशक योगेश कुमार निराशा छुपाते हुए कहते हैं, लिखा-पढ़ी चल रही है।
गुमनामी बाबा के लिए मात्र एक दीर्घा
संग्रहालय में नेता जी सुभाषचंद्र बोस बताए जाने वाले गुमनामी बाबा की वस्तुएं भी प्रदर्शित करने की तैयारी है। हालांकि इसे लेकर भी गतिरोध बना हुआ है। सुभाषचंद्र बोस राष्ट्रीय विचार केंद्र के अध्यक्ष शक्ति ¨सह के अनुसार बाबा का सामान संरक्षित-प्रदर्शित करने के लिए मात्र एक दीर्घा मुकर्रर की जा रही है, जबकि बाबा की वस्तुएं काफी अधिक हैं और एक दीर्घा में ही उन्हें समुचित संरक्षण-प्रदर्शन नहीं मिल सकता।