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कभी भी घाघरा में समा सकता है चरसड़ी तटबंध

टिकैतनगर (बाराबंकी): एल्गिनब्रिज-चरसड़ी तटबंध रायपुर मांझा गांव के निकट कभी भी कट सकता है। तटबंध को ब

By Edited By: Published: Thu, 02 Jul 2015 12:14 AM (IST)Updated: Thu, 02 Jul 2015 12:14 AM (IST)
कभी भी घाघरा में समा सकता है चरसड़ी तटबंध

टिकैतनगर (बाराबंकी): एल्गिनब्रिज-चरसड़ी तटबंध रायपुर मांझा गांव के निकट कभी भी कट सकता है। तटबंध को बचाने की कवायद में ¨सचाई विभाग के बाढ़ कार्य खंड गोंडा के अधिकारी करीब एक सैकड़ा श्रमिकों के साथ जुटे हुए हैं। जीओ बैग (बालू भरीं बोरियां ) तटबंध के कटान स्थल पर डाले जा रहे हैं।

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बुधवार की सुबह स्पर नबंर एक, दो, तीन व चार का अस्तित्व मिटाते हुए नदी तटबंध तक पहुंच गई। किलो मीटर 10 से 12 के मध्य तटबंध के किनारे की मिट्टी तेजी से कटने लगी। यह देख अधिकारियों व ग्रामीणों के हाथ पांव फूल गए, फिर भी बचाव के लिए जीओ बैग डालने का काम चलता रहा। दोपहर बाद घाघरा नदी की कटान बहुत कम हो गई। इससे थोड़ी राहत मिली। ¨सचाई विभाग के अधिकारियों ने जीओ बैग के साथ ही परखू पांव (तीन-तीन के समूह में सीमेंट के पोल एक में बांधकर) पानी में डाले गए ताकि पानी का बहाव तटबंध की ओर से कम हो जाए।

ढीले पड़े राज्यमंत्री के तेवर:

करनैलगंज गोंडा के विधायक एवं राज्यमंत्री बेसिक शिक्षा योगेश प्रताप ¨सह मंगलवार को जहां तटबंध के अनुरक्षण कार्य में लगी कार्यदाई संस्था के अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने व मुख्यमंत्री और प्रमुख सचिव से मौके पर ही बात करने का दावा कर रहे थे , वहीं बुधवार को तेवर काफी ढीले पड़े दिखाई दिए। ¨सचाई विभाग के अधिकारियों से बात करने का उनका लहजा काफी नरम था। निर्देशित करने के बजाए अनुरोध भरे लहजे में बात कर रहे थे। उनका कहना था कि तटबंध किसी तरह कटने से बच जाए, अन्यथा क्षेत्रीय जनता में बड़ी बदनामी होगी। स्थानीय ग्रामीण मंत्री के ढीले तेवर देख तरह-तरह की टिप्पणी कर रहे थे।

पीएसी ने किया गांवों का भ्रमण:

तटबंध कटने की आशंका से पहल ही जल पीएसी की एक कंपनी तटबंध पर आ डटी है। पीएसी के जवानों ने बुधवार को रायपुर मांझा व आसपास के अन्य गांवों में भ्रमण कर स्थिति का जायजा लिया। जो ग्रामीण अभी गांव में हैं उनसे ऊंचे और सुरक्षित स्थान पर जाने का सुझाव भी दिया।

अब तक नहीं बंटी राहत सामग्री: रायपुर मांझा ग्राम पंचायत तथा परसावल ग्राम पंचायत के एक हजार से ज्यादा परिवार गांव छोड़कर तटबंध व अन्य स्थानों पर तिरपाल और बरसात डालकर रहने को विवश हैं। इन परिवारों के सामने अब दो वक्त की रोटी का संकट है। प्रशासन की ओर से अभी तक राहत साम्रग्री नहीं बांटी गई है। तटबंध पर बैठी मिली 55 वर्षीय राजकली ने कहा कि सुबह से ही उसके परिजन गांव के अंदर से गृहस्थी का सामान निकालकर तटबंध पर ला रहे हैं। बनाने-खाने का मौका ही नहीं मिला। पका-पकाया भोजन प्रशासन की ओर से बंटवाया जाता तो राहत मिलती।

जिला पूर्ति अधिकारी शोमनाथ यादव का कहना है कि राहत सामग्री तहसील को पहुंचाई जा रही है। पीड़ित परिवारों का चिन्हांकन तहसील प्रशासन करके उन्हें वितरण करेगा। तिरपाल, मच्छरदानी, प्लास्टिक की बाल्टी-मग, गुड़, चना, बिस्कुट, चावल, दाल, आलू, प्याज माचिस, मोमबत्ती आदि के साथ ही आवश्यकता के अनुसार पूड़ी-सब्जी का वितरण भी कराया जाएगा।

रामनगर संवादसूत्र के अनुसार कचनापुर गांव में कटान स्थिर है। पिछले दो वर्ष में नदी का प्रवाह कचनापुर गांव की तरफ बढ़ रहा है। दो दर्जन घर नदी में समा चुके हैं। नदी पानी घटने पर कटान बढ़ती है। इसलिए गांव पर नजर रखी जा रही है। पुलिस बल को भी सक्रिय किया गया है। बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए पीएसी भी बुलाई जाएगी। ग्रामीणों को सतर्क कर दिया गया है।


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