आजु महामंगल कोसलपुर सुनि नृप के सुत चार भए
अयोध्या: रामनगरी में रविवार को भी राम जन्मोत्सव की धूम रही। मणिरामदास जी की छावनी, रामवल्लभाकुंज,
अयोध्या: रामनगरी में रविवार को भी राम जन्मोत्सव की धूम रही। मणिरामदास जी की छावनी, रामवल्लभाकुंज, रंगमहल जैसे प्रमुख मंदिरों में रविवार को अपराह्न राम जन्मोत्सव मनाया गया।
रामवल्लभाकुंज में प्रात: से ही उत्सव की तैयारी चरम पर थी। 108 लोगों ने श्री रामचरितमानस का पारायण आगे बढ़ाया और जिसकी पूर्णाहुति पूर्वाह्न ही हुई। पारायण की पूर्णाहुति होते ही गर्भगृह के सम्मुख जगमोहन में भजन एवं बधाई गान की महफिल सजी। दूसरी ओर गर्भगृह में भगवान के जन्मोत्सव की तैयारी चली। सूक्ष्म गर्भगृह से भगवान के प्राकट्य की रस्म पूरी करने के बाद अर्चकों ने पंचामृत से भगवान का अभिषेक किया। इत्र लेपन हुआ और नई पोशाक धारण कराई गई। आराध्य की साज-सज्जा पूरी होने के बाद पट खुला, जन्मोत्सव की खास बेला में आराध्य को निहार लेने की तृप्ति बयां हुई। आरती का थाल मंदिर के महंत रामशंकरदास वेदांती ने स्वयं संभाल रखा था, तो अधिकारी राजकुमारदास गर्भगृह की दहलीज से चंवर डुला रहे थे। श्रद्धालुओं में सुप्रसिद्ध रामकथा मर्मज्ञ संत प्रेमभूषण भी शामिल रहे। जगमोहन से लेकर मंदिर का पूरा प्रांगण श्रद्धालुओं से ठसा-ठस था। कोई 15 मिनट में आरती थमते ही जन्मोत्सव का उल्लास सातवें आसमान पर पहुंच गया। आरती-प्रसाद लेने की होड़ के बीच भगवान की स्तुति और विभोर भक्तों का नृत्य घंटे भर से अधिक तक चला।
मणिरामदास जी की छावनी में मंदिर की ख्याति के अनुरूप श्रद्धालु उमड़े। विधि-विधान से आयोजित जन्मोत्सव की छटा से सभी सराबोर नजर आए। भक्तों ने महंत नृत्यगोपालदास की चरण रज ले स्वयं को धन्य किया। रामकोट स्थित रंगमहल में भी राम जन्मोत्सव की छटा बिखरी। महंत रामशरणदास के संयोजन में विविध अनुष्ठान संपादित हुए। राम जन्म की रस्म के बाद बधाई गान गूंजे। महंत ने बताया कि मंदिर में बधाई गान का सिलसिला पूर्णमासी तक चलेगा। करीब दो शताब्दी पूर्व संत सरयूशरण द्वारा स्थापित रंगमहल भगवान राम से जुड़े उत्सव-उपासना का प्रमुख केंद्र माना जाता है।