बैरीके¨डग से उल्लास देखने को कनकभवन की ओर निहारेंगे रामलला
अयोध्या: रामनगरी में आज चहुंओर रामजन्मोत्सव का उल्लास है। अयोध्या की शायद ही कोई ऐसी गली हो जहां रा
अयोध्या: रामनगरी में आज चहुंओर रामजन्मोत्सव का उल्लास है। अयोध्या की शायद ही कोई ऐसी गली हो जहां रामजन्म के मौजूदा कालखंड का हिस्सा बनने के लिए लोग मौजूद न हों। मंदिर-मंदिर बधाई गायन अब अपने शिखर पर पहुंच चुका है। हर किसी को इंतजार है तो बस रामलला के प्रकाट्य का। उल्लास का यह सागर देखने के लिए कनकभवन में हर आम और खास मौजूद होगा। यहां तक कि जिस रामलला के जन्म को लेकर आज जनमानस की आस्था लोगों को अयोध्या की ओर खींच लाती है। अधिग्रहित परिसर में विराजमान वही रामलला अपने जन्मोत्सव का उल्लास देखने को कनकभवन की ओर निहारेंगे। कारण हैं कानूनी बाध्यताएं। जिसके चलते रामलला अपने जन्मदिन की खुशियां खुल कर नहीं मना पाते।
शनिवार को रामनवमी के अवसर पर कनकभवन सहित पूरी अयोध्या रामजन्म के उल्लास में मगन दिखेगी। पर चंद मीटर की दूरी पर भ्रारी सुरक्षा में बैठे रामलला जन्मोत्सव के उत्साह से लवरेज अपने भक्तों को इस बार भी बैरीके¨डग के भीतर से ही निहार पायेंगे। हमेशा की तरह यहां का उत्साह फीका ही कहा जायेगा। इसके पीछे कारण है वर्षों से चला आ रहा विवाद और सीमित बजट। पुजारी सतेन्द्र दास कहते हैं कि जो बजट मिलता है उस में भगवान का भोग व वस्त्र, प्रसाद आदि की व्यवस्था होती है। परंपरागत आयोजनों के लिए अतिरिक्त बजट की व्यवस्था हो जाये तो बेहतर होगा। ताकि रामजन्मोत्सव जैसे पावन पर्व पर कुछ और न सही पर रामलला के लिए पोशाक और बेहतर व्यंजन की व्यवस्था तो हो सके। गत कई वर्षों से इसके के लिए 28 हजार पांच सौ की राशि आवंटित होती है। इसी राशि से रामलला के लिए वर्ष भर की सात पोशाकें सिलाई जाती हैं। यानी जन्मोत्सव के लिए बमुश्किल 15 हजार का बजट शेष बचता है। इस बजट का प्रमुख व्यय प्रसाद में होता है। 40 किलो ¨सघाड़ा का आटा, 40 किलो रामदाना एवं 30 किलो रामदाना की पंजीरी तथा 10 किलो दूध, इतना ही दही, आठ किलो चीनी, दो किलो शहद एवं एक किलो घी से पंचामृत और करीब 10 किलो फल का रामलला को भोग लगाकर प्रसाद बांटा जाता है। मध्याह्न प्राकट्य की आरती से पूर्व सूक्ष्म गर्भगृह से भगवान का अवतरण कराए जाने के बाद रामलला का पंचामृत एवं सरयू जल से अभिषेक कराया जाता है।
सुरक्षा संबंधी बंदिशों में रामलला अन्य दिनों की तुलना में रामनवमी अवश्य उत्सव की वाहक होती है पर यह रामजन्मभूमि के राम जन्मोत्सव की कल्पना से कोसों दूर रह जाती है। जहां अयोध्या के ही कई अन्य प्रमुख मंदिरों में राम जन्मोत्सव के लिए लाखों रुपए व्यय होता है, वहीं रामलला का यह बजट भक्तों को मायूस करने वाला है। बधाई गान की महफिल, मानस का नवाह्न पारायण, भोज-भंडारा आदि अन्य मंदिरों की तरह यहां जन्मोत्सव की रस्म बेमानी है। रामलला के प्रधान अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास के अनुसार यदि स्थल की महिमा, जनमानस में भगवान राम के प्रति अनुराग और शास्त्रों में रामजन्म के प्रसंग को देखा जाए तो यहां का रामजन्मोत्सव देश के चु¨नदा आयोजनों में होना चाहिए पर अभी तो किसी तरह काम चलाने की स्थित है।