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फिर बाहर आया दवा घोटाले का 'जिन्न'

फैजाबाद फाइलों में कैद सात साल पुराने लाखों रुपये के दवा घोटाले समेत स्वास्थ्य विभाग के कई कर्मच

By Edited By: Published: Thu, 18 Dec 2014 09:58 PM (IST)Updated: Thu, 18 Dec 2014 09:58 PM (IST)
फिर बाहर आया दवा घोटाले का 'जिन्न'

फैजाबाद

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फाइलों में कैद सात साल पुराने लाखों रुपये के दवा घोटाले समेत स्वास्थ्य विभाग के कई कर्मचारियों के कारनामे एक बार फिर सुर्खियों में हैं। शासन के निर्देश पर अपर निदेशक चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण ने जांच शुरू कर दी है। इससे विभाग में खलबली मच गई है। मुख्य चिकित्साधिकारी के अधीन की जाने वाली दवाओं की खरीद-फरोख्त में हुई वित्तीय अनियमितता को छिपाने के लिए 2007 में केंद्रीय औषधि भंडार को आग के हवाले कर दिया गया था। इससे स्टोर में रखी दवाइयां व अन्य अभिलेख भी नष्ट हो गए थे। तत्कालीन जिलाधिकारी आमोद कुमार ने मामले की जांच कराई थी, जिसमें दोषी पाए जाने पर तत्कालीन मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. वीपी ¨सह को निलंबित कर दिया गया था। उसके बाद नियुक्त हुई मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. मायादेवी अग्रवाल ने प्रकरण में सख्त रुख अपनाया। उनके निर्देश पर अपर मुख्य चिकित्साधिकारी भंडार रहे डॉ. लालमणि प्रसाद ने रामजन्मभूमि थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। विभागीय जांच में संदिग्ध करार दिए गए फार्मासिस्ट समेत लिपिकों को बचाने के लिए सीएमओ को धमकाया गया और सीएमओ कार्यालय में हंगामा किया गया। घोटाले में लिप्त ताकतवर लॉबी का दबाव डॉ. अग्रवाल पर भारी पड़ा और उनकी सीएमओ के पद से विदाई हो गई। बाद में कर्मचारियों के कार्य व्यवहार की जांच फैजाबाद के संयुक्त निदेशक के रूप में डॉ. मायादेवी अग्रवाल ने ही की। उन्होंने लिपिकों सिराजुल हक, अशरफ, राजेश मिश्र, रमेश कुमार, बृजेंद्र कुमार, महेंद्र कुमार, एमपी निगम के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की, लेकिन कार्रवाई के बजाय यह पत्रावली फाइलों के बियावान में गुम हो गई। उधर जांच में दवाओं की खरीद में 16 लाख रुपये का घोटाला किए जाने की पुष्टि हुई। इस मामले में वास्तविक दोषियों को बचाने के लिए तत्कालीन चीफ फार्मासिस्ट शिवबालक गौतम को दोषी ठहरा दिया गया और उनसे वसूली के भी आदेश जारी हो गए, जबकि कई बार आग्रह के बावजूद उन्हें कार्यभार ही नहीं सौंपा गया था। इसी त्रुटि की आड़ लेकर गौतम उच्च न्यायालय चले गए और कार्रवाई के विरुद्ध स्थगनादेश ले आए। अब एक बार फिर यह मसला शासन के संज्ञान में आया तो अपर निदेशक चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डॉ. एचएन त्रिपाठी को जांच सौंपी गई है। उन्होंने जांच के लिए पत्रावलियों की तलाश शुरू कर दी है।

सात वर्ष पुराने मामले में लिपिकों के खिलाफ जांच के निर्देश मिले हैं। फैजाबाद के मुख्य चिकित्साधिकारी से प्रकरण से संबंधित अभिलेख मांगे गए हैं।

-डॉ. एचएन त्रिपाठी अपर निदेशक चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण


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