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बाढ़ पीड़ितों के दर्द से हाकिम अनजान

पूराबाजार (फैजाबाद) : घाघरा (सरयू नदी) की बाढ़ की विभीषिका में सब कुछ गंवा चुके सैकड़ों अभागे परिवारो

By Edited By: Published: Thu, 23 Oct 2014 09:32 PM (IST)Updated: Thu, 23 Oct 2014 09:32 PM (IST)
बाढ़ पीड़ितों के दर्द से हाकिम अनजान

पूराबाजार (फैजाबाद) : घाघरा (सरयू नदी) की बाढ़ की विभीषिका में सब कुछ गंवा चुके सैकड़ों अभागे परिवारों के लिए दीपावली, होली और लोकतंत्र का उत्सव भी कोई मायने नहीं रखते हैं। कारण घर और खेतों के साथ इनकी सारी खुशियां घाघरा के आगोश में समा चुकी हैं। इनके पास पिछले 15 वर्षो से न तो जीविकोपार्जन का कोई साधन है और न ही सरकारी योजनाओं का लाभ ही मिल पा रहा है। सरकारी अहलकारों की जिद और लापरवाही से उन्हें वर्षो से सुरक्षित ठौर तक नसीब नहीं हो पा रहा है। इस बार भी हर वर्ष की भांति अभाव व अंधेरे में दीपावली है।

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यह दास्तां है सदर तहसील क्षेत्र में सरयू की कछार में बिल्वहिर-अयोध्या तटबंधे पर बसे मांझा मूड़ाडीहा, मांझा सलेमपुर व मांझा पूरे चेतन गांव के उन बाढ़ विस्थापित सैकड़ों परिवारों की है। हर साल 'जल प्रलय' के आदी बन चुके सैकड़ों विस्थापितों को न तो सरकारी आवास मिल सके हैं और न ही काम धंधे। ऐसे में यहां के लोग पड़ोसी गांव व बाजारों में बटैया और मजदूरी करके तथा पशुपालन कर रोटी का जुगाड़ कर रहे हैं। प्रशासन इनके लिए आवास और पट्टे का खेती योग्य भूमि दिए जाने का आश्वासन हर बार देता है लेकिन हकीकत में आज तक इन्हें कुछ भी नहीं मिल सका। वर्षो से बंधे पर आशियाना (झोपड़पट्टी) बनाकर रह रहे हैं। तटबंध पर रह रहे सुग्रीव निषाद, रामशंकर, केशवराम, नंगा, झब्बर, पन्नीलाल, अयोध्या प्रसाद, ठाकुर प्रसाद, रामलखन ने बताया कि हजारों की आबादी वाले मांझा क्षेत्र के इन गांवों में बाढ़ का कहर होने के कारण मनरेगा से भी कार्य नहीं हो पा रहा है।


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