बकायेदारी बनी विजय रामदास की हत्या की वजह
फैजाबाद : महंत विजय रामदास की हत्या की वजह बकायेदारी बनी। जिस शिष्य को उन्होंने स्नेह और धन देकर अयोध्या में स्थापित किया उसी शिष्य ने रकम न वापस करनी पड़े इसलिए उन्हें मौत के घाट उतार दिया। घटना से जुड़े कुछ प्रश्न भले ही अनुत्तरित हों लेकिन पुलिस की स्क्रिप्ट इसी सच्चाई का दावा करती है। शनिवार को गिरफ्तार किए गए आरोपी को पुलिस ने रविवार को जेल भेज दिया।
श्रीरामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपालदास के शिष्य व गंगा भवन के महंत विजय रामदास का शव शुक्रवार को गंगा भवन से बरामद हुआ था। कुल्हाड़ी से ताबड़तोड़ वार कर उन्हें बेरहमी से मौत के घाट उतार कर शव के आस-पास चूड़ियां व आपत्तिजनक वस्तुएं फेंक कर जांच की दिशा आशनाई की ओर मोड़ने की कोशिश की गई, जिसे लेकर अयोध्या का संत समाज भी स्तब्ध था। लेकिन वारदात से जब पर्दा उठा तो गुरु-शिष्य का रिश्ता कलंकित हो गया। क्राइम ब्रांच को साथ लेकर छानबीन कर रही अयोध्या पुलिस ने रविवार को वारदात से पर्दा उठाया। अपर पुलिस अधीक्षक नगर आरएस गौतम ने पत्रकार वार्ता में इस सनसनीखेज हत्याकांड का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि महंत की हत्या करने वाला उन्हीं का प्रिय शिष्य दुर्गेश तिवारी था। सिद्धार्थनगर जिले के फूलपुरराजा गांव निवासी दुर्गेश मणिरामदास जी की छावनी में रहकर पढ़ाई करता था। यहीं से वह विजय रामदास की संगत में आया। वर्ष 2006 में प्रधानाचार्य रामकिंकर से कहकर विजय रामदास उसे गंगा भवन ले आए। विचारों के आदान-प्रदान के दौरान दोनों के बीच प्रगाढ़ता बढ़ती गई। जून में विजय रामदास ने ही बलरामपुर से दुर्गेश की शादी कराई। इसके बाद वासुदेवघाट पर एक मकान भी खरीदवाया, जिसमें ढाई लाख रुपये की मदद भी विजय रामदास ने की थी। आरोपी ने बताया कि दो महीनों से विजय रामदास रुपयों की मांग को लेकर उसे ज्यादा प्रताड़ित करने लगे थे। प्रताड़ना की इन्तहा हो जाने के बाद गत 28 अगस्त की रात उसने महंत को मौत के घाट उतार दिया। घटनास्थल पर चूड़ियां व आपत्तिजनक वस्तुएं फेंक कर दुर्गेश ने घटना को दूसरा मोड़ देने की कोशिश की। घटना के बाद से ही दुर्गेश फरार चल रहा था और यही वजह रही की उस पर पुलिस का शक गहराता गया। पकड़े जाने के बाद दुर्गेश ने भी अपना जुर्म कबूला। दुर्गेश की गिरफ्तारी शनिवार को सिद्धार्थनगर में उसके घर से की गई।