पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया तैयारी पर फिरा पानी
फैजाबाद: भारी उथल-पुथल के बीच डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय की तकरीबन पूरी हो चुकी पीएचडी दाखिले की प्रक्रिया पर पानी फिर गया है। कारण जिस शोध के अध्यादेश को विश्वविद्यालय ने अनुमोदन के लिए राजभवन भेजा था उसे वहां से बगैर अनुमोदित किए ही वापस भेज दिया गया है। एक माह की मियाद बीत जाने के बावजूद दाखिले के लिए बनी कमेटी अभी तक इस पर पुनर्विचार नहीं कर सकी है। तकरीबन सवा दो साल से दाखिले की उम्मीद संजोये पात्र शोधार्थियों की उम्मीद को जबर्दस्त पलीता लगा है।
काबिलेगौर है कि विवि प्रशासन ने पूर्ववर्ती कुलपति प्रो. पीसी त्रिवेदी के कार्यकाल में शोध के अध्यादेश में संशोधन करते हुए इसे कुलाधिपति के सुपुर्द किया था। जहां अरसे तक यह डंप रहा। जानकारी के मुताबिक कुलाधिपति सचिवालय ने बीते माह इसे बगैर स्वीकृति प्रदान किए ही विवि को वापस लौटा दिया। तब से यह अध्यादेश बगैर किसी कार्यवाही के विवि में है। इसके पहले अध्यादेश में कुछ महत्वपूर्ण संशोधन हुआ, जिसमें विश्वविद्यालय स्तर पर परीक्षा का आयोजन कराना शामिल है। बताते चलें कि प्रदेश स्तरीय पीएचडी पात्रता परीक्षा का आयोजन अवध विश्वविद्यालय ने किया था। जिसमें तीन दर्जन विषयों की परीक्षा शामिल थी। हजारों छात्र परीक्षा में सफल हुए थे। इन्हीं में से सफल छात्र-छात्राओं का दाखिला सूबे के विभिन्न विश्वविद्यालयों को करना था। कुछ विश्वविद्यालयों ने दाखिला शुरू भी किया। जून 2012 में प्रवेश परीक्षा संपन्न कराकर तत्कालीन कुलपति प्रो. आरसी सारस्वत ने इस्तीफा दे दिया। यहीं से शुरू हुई विवि की उठापटक, दाखिले की प्रक्रिया को भी अस्थिर करती रही। हालांकि बाद में संकायाध्यक्षों की कमेटी बनी। इसमें तेजी लाने की कोशिश हुई पर मुकम्मल नहीं हो सकी। फिलहाल विश्वविद्यालय ने संकायाध्यक्षों के जरिये विषयवार शोध की रिक्त सीटों के आंकलन का काम पूरा किया। साथ ही विज्ञापन के प्रारूप को अंतिम स्वरूप तक पहुंचाया गया। अध्यादेश पर कुलाधिपति की मुहर न लगने से पूरी प्रक्रिया ठप हो गयी है। अब फिर से कार्यपरिषद में अध्यादेश के जिस स्वरूप को राजभवन भेजना है, उस पर मुहर लगनी है। उधर हजारों छात्रों की बेचैनी चरम पर है। विवि ने एक अगस्त 2012 की तिथि से प्रमाणपत्र निर्गत किया था। पूर्व में निर्धारित दो वर्ष की मियाद पहले ही बीत चुकी है। सरकार द्वारा एक वर्ष प्रमाणपत्र की वैधता की मियाद बढ़ा दी गयी। उसको भी एक माह बीत चुका है। जो कमेटी इस कार्य के लिए गठित की गयी है उसने अभी तक अध्यादेश पर दोबारा काम शुरू नहीं किया।