मेले के स्वागत को तैयार सलिला सरयू
फैजाबाद : सावन झूला मेला के मद्देनजर प्रशासकीय तैयारियों की अपनी गति से इतर सलिला सरयू मेले के स्वागत में पूरी तरह तैयार नजर आ रही है। गत सप्ताह खतरे का निशान पार करने के साथ रौद्र रुख अख्तियार करने वाली पुण्य सलिला अब न केवल अपने दायरे में उछाल भर रही है बल्कि सभी पक्के स्नान घाटों का स्पर्श कर रही है।
वर्ष के अधिकांश महीने सरयू के प्रवाह से वंचित रहने वाले घाट सावन की दस्तक के साथ जल से सराबोर हैं। आम तौर पर विभिन्न पर्वो और मेलों पर स्नानार्थियों का दबाव पुराने सरयू पुल के पूरब एवं पश्चिम क्रमश: संत तुलसीदास घाट एवं लक्ष्मण घाट तक होता है। हालांकि यह दोनों घाट मिलाकर तकरीबन एक किलोमीटर का है पर मुख्य स्नान पर्व पर जब 20 से 25 लाख लोगों का जन सैलाब उमड़ता है, तो यह स्थान बेहद सीमित प्रतीत होता है। हालांकि आसन्न स्नान पर्व पर ऐसी चुनौती नहीं पेश होने वाली है। संत तुलसीदास घाट से लेकर राजघाट तक कोई चार किलोमीटर के दायरे में स्थित आधा दर्जन से अधिक स्नान घाट सरयू के प्रवाह से गुलजार हैं। इनमें गोलाघाट, पापमोचन घाट, झुनकी घाट, ऋणमोचन घाट आदि हैं।
ऐसा नहीं है कि यह घाट पहली बार सरयू के प्रवाह से स्पर्शित हुए हैं बल्कि इनकी जीवंतता और महिमा की भरी-पूरी परंपरा रही है और इन घाटों के मुरीदों की पूरी की पूरी पांत है। उन्हें जहां इन घाटों को प्रवाह से वंचित होने की मायूसी थी, वहीं मौजूदा परिदृश्य उन्हें आनंद से ओत-प्रोत करने वाला है। लक्ष्मण किलाधीश महंत मैथिलीरमण शरण कहते हैं कि शास्त्र अयोध्या को सरयू से तकरीबन घिरा बताते हैं और इस वर्णन को जीवंत देखकर भगवान राम के ही समय की अयोध्या के वैभव का स्मरण होता है।